Mumbai cyber fraud: कार्ड क्लोनिंग से लेकर डेटा चोरी तक, मुंबई में साइबर ठगों का आतंक, बैंक बने मुसीबत!

Mumbai cyber fraud: मुंबई में साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड में तेजी देखी जा रही है, 2020 से अब तक लगभग 20,000 मामले सामने आए हैं और नुकसान 2,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है, फिर भी वसूली बहुत कम है। पीड़ितों में बिजनेसवुमन से लेकर रिटायर्ड लोग तक शामिल हैं।

अपडेटेड Nov 24, 2025 पर 10:46 AM
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Mumbai cyber fraud: कार्ड क्लोनिंग से लेकर डेटा चोरी तक, मुंबई में साइबर ठगों का आतंक, बैंक बने मुसीबत!

Mumbai cyber fraud: मुंबई में साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड में तेजी देखी जा रही है, 2020 से अब तक लगभग 20,000 मामले सामने आए हैं और नुकसान 2,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है, फिर भी वसूली बहुत कम है। पीड़ितों में बिजनेसवुमन से लेकर रिटायर्ड लोग तक शामिल हैं। फ्रॉड करने वाले अब इतने चालाक हो चुके हैं कि वे कार्ड क्लोन कर लेते हैं, डेटा चुरा लेते हैं, और लोगों को आसानी से फंसाते हैं।

सबसे बड़ी परेशानी यह है कि बैंक भी ज्यादातर मामलों में पैसे वापस करने से मना कर देते हैं, जबकि RBI के नियमों के अनुसार कई स्थितियों में ग्राहक की शून्य-देयता (zero liability) होती है। यानी ग्राहक की कोई गलती न हो तो पैसा वापस मिलना चाहिए।

एक्सपर्ट्स ने दी जानकारी


एक्स्पर्ट्स का कहना है कि पूरी वित्तीय प्रणाली अपनी कमजोरियों के लिए जिम्मेदार हैं। ग्राहकों की सुरक्षा करने के बजाय, बैंक अक्सर उन पर बोझ डाल देते हैं, जिससे अनगिनत नागरिक धोखाधड़ी होने के लंबे समय बाद भी कानूनी नोटिस, वसूली कॉल और नौकरशाही की उदासीनता से जूझते रहते हैं।

इनमें से 4,132 FIR क्रेडिट या डेबिट कार्ड धोखाधड़ी, ATM धोखाधड़ी, सिम स्वैप, क्लोनिंग, एक्टिवेशन और OTP शेयरिंग से संबंधित थीं, जिनमें पीड़ितों को 161.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और पुलिस को केवल 4.8 करोड़ रुपये ही मिले।

लोग फ्रॉड और कानूनी नोटिस का कर रहे हैं सामना 

ये मामले धोखाधड़ी के कई अलग-अलग तरीकों से जुड़े थे। एक उदाहरण साकीनाका निवासी व्यवसायी रोमलजीत कौर मक्कड़ का है, जिनके क्रेडिट कार्ड की क्लोनिंग के बाद उन्हें 2.5 लाख रुपये का नुकसान हुआ। 3 अप्रैल को, जब वह मुंबई स्थित अपने कार्यालय में एक मीटिंग में शामिल होने के लिए गई थीं और उनका कार्ड उनके पास था, तभी लखनऊ में एक मर्चेंट मशीन से धोखाधड़ी वाले लेनदेन किए गए।

मक्कड़ ने आरोप लगाया कि हो सकता है कि उस दिन पहले खरीदारी के दौरान सीसीटीवी कैमरे में उनका पिन कैद हो गया हो।

एक अन्य मामले में, बोरीवली पूर्व निवासी सेवानिवृत्त इंजीनियर नवनीत बत्रा (64) को मार्च 2023 से 1.9 लाख रुपये के चार फर्जी फंड ट्रांसफर के लिए रिकवरी एजेंटों के रोजाना कॉल और कानूनी नोटिस मिल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि घोटालेबाजों ने बिहार से हर्बल प्रोडक्ट खरीदने के लिए उनके कार्ड की जानकारी चुरा ली। दहिसर पुलिस में शिकायत दर्ज कराने और उनका कार्ड ब्लॉक करने के बावजूद, बैंक ने लेनदेन वापस नहीं लिया है।

RBI का नियम क्या कहता है?

कार्ड धोखाधड़ी पर RBI के नियमों के अनुसार, अगर ग्राहक तीन दिनों के भीतर धोखाधड़ी की सूचना देते हैं, तो उनकी कोई जfम्मेदारी नहीं होगी। अगर 4 से 7 दिनों के भीतर सूचना दी जाती है, तो कार्ड की सीमा के आधार पर देयता 10,000-25,000 रुपये तक सीमित है।

अगर ग्राहक ने अपना पिन, पासवर्ड या OTP साझा किया, तो यह ग्राहक की गलती मानी जाती है। जब तक ग्राहक अनधिकृत लेनदेन (fraud transaction) की रिपोर्ट नहीं करता, पूरा नुकसान ग्राहक को उठाना पड़ता है। रिपोर्ट करने के बाद होने वाला नुकसान बैंक को भरना होता है।

बैंकों को दस कार्यदिवसों के भीतर शुल्क वापस करना होगा और लंबित शिकायतों का 90 दिनों के भीतर समाधान करना होगा।

धोखेबाज लीक और ATM स्कीमर के जरिए कार्ड डेटा चुराते हैं

महाराष्ट्र साइबर सेल के यशस्वी यादव ने कहा कि फ्रॉड करने वाले लीक और ATM स्कीमर के जरिए कार्ड डेटा चुराते हैं। विशेषज्ञ रितेश भाटिया ने तर्क दिया कि OTP शेयर करने के लिए पीड़ितों को दोषी ठहराना गलत है, क्योंकि इस तरह की धोखाधड़ी आमतौर पर डेटा लीक और कमजोर वेरिफिकेशन सिस्टम विफलताओं से उपजती है, जिससे बैंक और पूरा सिस्टम ग्राहकों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।

पूर्व पुलिस प्रमुख डी. शिवानंदन ने कहा कि जब तक पीड़ित जानबूझकर संवेदनशील जानकारी साझा नहीं करते, तब तक बैंक जिम्मेदार हैं। साइबर वकील डॉ. प्रशांत माली ने कहा कि बैंक नियमित रूप से RBI के Zero Liability नियमों की अनदेखी करते हैं और उन्होंने सख्त KYC प्रक्रिया, तेज कार्ड ब्लॉकिंग, बेहतर तालमेल और सुरक्षा मानदंडों को पूरा न करने वाले बैंकों के लिए दंड की मांग की।

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