गोवा नाइट क्लब में लगी भीषण आग में 25 लोगों की मौत के कुछ दिन बाद, राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। गोवा सरकार ने बुधवार यानी 10 दिसंबर 2025 को सभी रेस्टोरेंट, नाइट क्लब और पब में पटाखों और इलेक्ट्रॉनिक फायर इफेक्ट के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी। सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि पर्यटन स्थलों पर पटाखे, फुलझड़ियां, पायरोटेक्निक इफेक्ट, फ्लेम थ्रोअर, स्मोक जनरेटर और ऐसे सभी उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जो आग या धुआं उत्पन्न करते हैं।
आदेश में स्पष्ट लिखा है, “पर्यटन स्थलों पर पटाखों, फुलझड़ियों, पायरोटेक्निक इफेक्ट, फ्लेम थ्रोअर, स्मोक जनरेटर और ऐसे अन्य आग/धुआं पैदा करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल, चलाना या फोड़ना पूरी तरह प्रतिबंधित है।” यह आदेश बैंक्वेट हॉल, निजी कार्यक्रम स्थलों, इनडोर स्पेस, नाइट क्लब, बार, रेस्टोरेंट, होटल, रिसॉर्ट और अन्य सभी पर्यटन स्थलों पर लागू होगा।
हादस में गई 25 लोगों की जान
आदेश में यह भी कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट विशेष परिस्थितियों में इनडोर पायरोटेक्निक की अनुमति दे सकते हैं, लेकिन इसके लिए पहले से लिखित मंज़ूरी जरूरी होगी। यह प्रतिबंध फिलहाल 60 दिनों तक प्रभावी रहेगा, और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सजा की कार्रवाई की जाएगी। यह कदम उस घटना के बाद उठाया गया है, जिसमें एक परफॉर्मेंस के दौरान जलाए गए “इलेक्ट्रिक पटाखे” लकड़ी की छत से टकरा गए और तुरंत आग लग गई, जिससे 25 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
पुलिस ने नाइट क्लब के मालिकों, पार्टनर्स, मैनेजरों, इवेंट आयोजकों और अन्य जिम्मेदार स्टाफ के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया है। FIR में रोमियो लेन के चेयरमैन सौरभ लूथरा, उनके भाई गौरव लूथरा और कुछ अन्य अज्ञात पार्टनर्स को आरोपी बताया गया है। FIR के अनुसार, आरोपी—जो ‘बर्च बाय रोमियो लेन, अरपोरा’ के मालिक, पार्टनर, मैनेजर, इवेंट ऑर्गनाइज़र और प्रबंधन से जुड़े लोग हैं—ने बिना आवश्यक सुरक्षा इंतज़ाम किए फायर शो आयोजित किया। न तो फायर सेफ्टी उपकरण लगाए गए और न ही अन्य सुरक्षा उपाय किए गए। लापरवाही के कारण लगी भीषण आग में 25 निर्दोष लोगों की मौत हो गई और कई पर्यटक तथा स्टाफ घायल हुए। FIR में यह भी कहा गया है कि प्रबंधन को पूरी जानकारी थी कि ऐसे शो से गंभीर आग लगने का खतरा रहता है, फिर भी उन्होंने कार्यक्रम कराया। इसके अलावा, FIR में यह भी दर्ज है कि रेस्टोरेंट के ग्राउंड फ्लोर और डेक फ्लोर पर आपातकालीन निकास (इमरजेंसी एग्ज़िट) के दरवाजे नहीं थे, जिससे लोग समय पर बाहर नहीं निकल पाए।