महाराष्ट्र में होटल और रेस्टोरेंट उद्योग सरकार की कर नीतियों के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है। महाराष्ट्र सरकार की नई शराब कर नीति के विरोध में, सोमवार 14 जुलाई को राज्यभर के 11,500 से अधिक होटल बार बंद रहेंगे। होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन (HRAWI) ने 'बार बंद' और 'शराब निषेध' दिवस का ऐलान किया है। संगठन का कहना है कि न्यू टैक्स सिस्टम होटल और बार उद्योग के लिए गंभीर खतरा बन रही है।
महाराष्ट्र में कल बंद रहेंगी होटल बार
HRAWI की अपील पर पालघर, वसई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, लोनावाला, महाबलेश्वर और नासिक जैसे शहरों के होटल संगठनों ने इस विरोध में भाग लेने की पुष्टि की है। वे अपने-अपने होटलों में बार और शराब परोसने वाले सेक्शन को बंद रखेंगे। यह विरोध देश की फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (FHRAI) द्वारा भी समर्थित है और इसे महाराष्ट्र के होटल उद्योग में अब तक का सबसे बड़ा समन्वित प्रदर्शन माना जा रहा है।
टैक्स पर बढ़ने पर विरोध
महाराष्ट्र में यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन राज्य सरकार की नई शराब कर नीति के खिलाफ है, जिसमें 60% एक्साइज ड्यूटी बढ़ाया गया है, शराब पर वैट 5% से बढ़ाकर 10% कर दिया गया है और 2025-26 के लिए लाइसेंस फीस में हर साल 15% बढ़ोतरी की गई है। बार और होटल मालिकों का कहना है कि इन बढ़ोतरी से कारोबार चलाना मुश्किल हो जाएगा, इसलिए वे सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं।
ये हो रही मांग
HRAWI के अध्यक्ष जिमी शॉ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा शराब पर टैक्स बढ़ाने का फैसला होटल और बार उद्योग के लिए अस्तित्व का संकट बन गया है। उन्होंने कहा कि यह विरोध सिर्फ नाराज़गी नहीं, बल्कि कारोबार बचाने की लड़ाई है। बता दें कि टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में राज्य की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है, जो 20 लाख से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देता है और हर साल 15 करोड़ से अधिक घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि करों में इतनी बढ़ोतरी से महाराष्ट्र देश के सबसे महंगे राज्यों में शामिल हो सकता है, जिससे टूरिस्ट और कारोबारी यात्री दोनों ही प्रभावित होंगे।
11,500 होटल बार इस प्रदर्शन में शामिल
HRAWI का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार की नई शराब कर नीति से राज्य में हजारों बार और परमिट रूम बंद होने की कगार पर हैं। इस वजह से चार लाख से ज़्यादा लोगों की नौकरियाँ जा सकती हैं, पर्यटकों की संख्या घट सकती है और खुले स्थानों पर शराब पीने की घटनाए बढ़ सकती हैं। एसोसिएशन का मानना है कि टैक्स बढ़ने से छोटे होटल और बार तो बंद हो सकते हैं, वहीं बड़े प्रतिष्ठानों को भी टिके रहने में मुश्किल होगी।
HRAWI के अध्यक्ष जिमी शॉ ने कहा, "एक आम पर्यटक रोज़ाना ₹2,000 से ₹5,000 खर्च करता है, जिसमें खाना-पीना एक बड़ा हिस्सा होता है। अब ये कर बढ़ने से महाराष्ट्र आम भारतीय परिवारों के बजट से बाहर होता जा रहा है।" करीब 11,500 होटल बारों की इस सामूहिक भागीदारी से साफ है कि उद्योग इस नीति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है। इसका असर फाइव स्टार होटलों से लेकर छोटे टूरिस्ट होटलों तक सब पर पड़ेगा।
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