इन दिनों राजधानी दिल्ली के दूतावासों में लुटियंस दिल्ली की NDMC की आवा-जाही बढ़ी हुई है। आवा-जाही इस लिए नहीं बढ़ी कि इन दूतावासों का कुछ बकाया है या फिर उनकी समस्या नहीं सुलझ रही है। दरअसल ये नयी दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन यानी एनडीएमसी के उपाध्यक्ष कुलजीत चहल की एक अनूठी पहल है। कुलजीत चहल जानते हैं कि दुनिया भर के देशों के दूतावास एनडीएमसी इलाके में पड़ते हैं, जो इन जगहों की साफ-सफाई, निर्माण कार्य जैसे कामों पर फैसला लेने वाली एकमात्र सिविक बॉडी है। इसलिए उन्होंने इस मौके को अवसर में बदला और एक ऐसी मुहिम की शुरुआत की जिसकी भारत में काम कर रहे राजनयिक जम कर तारीफ कर रहे हैं।
कुलजीत चहल एनडीएमसी के सदस्य भी रहे हैं और अब बतौर इसके वाइस चेयरमैन उनकी कोशिश है कि इन तमाम राजदूतों से मिलकर न सिर्फ उनके दूतावासों की मुश्किलें जानें बल्कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से समाज के हित में किए गए कामों का लेखा-जोखा भी उन्हें देने का सुनहरा मौका भी मिलेगा। कुलजीत चहल इन राजदूतों से समय लेकर मिलने जाते हैं। सबसे पहले उन्हें इमरजेंसी डायरीज नाम की पुस्तक गिफ्ट करते हैं और उन्हें बताते हैं कि इमरजेंसी क्या थी और भारत पर उसका क्या प्रभाव पड़ा था। इसके बाद के 4-5 मिनट चहल राजदूतों को नमो एप्प दिखाते हैं और बताते हैं कि इस एप्प से जनता से कनेक्ट हो रहा है। चहल के मुताबिक कई राजदूतों ने माना है कि ये एक महत्वपूर्ण पहल है और दूतावास के अपने कर्मचारियों को इस दिशा में काम करने को तो कहा ही और साथ में ये भी आश्वासन दिया कि अपने-अपने देशों में शीर्ष नेतृत्व को भी इसके बारे में बताएंगे।
एनडीएमसी उपाध्यक्ष कुलजीत चहल ने इसके अलावा पीएम मोदी की मुहिम एक पेड़ मां के नाम के बारे में भी दूतावासों से अपनी मुलाकात में जानकारी साझा कर रहे हैं। कई दूतावासों में तो उन्होंने इस मुहिम के तहत वृक्षारोपण का काम भी किया है। जब दुनिया भर के शासनाध्यक्ष पीएम मोदी के साथ मिलकर इस मुहिम के तहत पेड़ लगा रहे हैं तो दूतावासों के माध्यम से पूरी दुनिया में भी संदेश जा रहा है। इससे तमाम दूतावासों और एनडीएमसी की जबरदस्त बॉन्डिंग तो हो ही रही है और साथ ही कई देशों में सीवेज मैनेजमेंट, वाटर मैनेजमेंट जैसी म्यूनिसपालिटी की मुश्किलों को दूर करने के सबक भी एनडीएमसी इन देशों से ले रही है।
कुलजीत चहल अब तक 17 दूतावासों में जा चुके हैं. सबसे पहले चहल नीदरलैंड के दूतावास में जाकर वहां के राजदूत से मिले। इसके बाद वो दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, पोलैंड, डेनमार्क, श्रीलंका, मॉरिशस, ऑस्ट्रिया के दूतावास भी जा चुके हैं। चहल का लक्ष्य है दिल्ली में बने सभी दूतावासों में जाना और उनसे संपर्क के तार जोड़ कर रखना। जाहिर है अब दूतावासों को अपने परिसर में निर्माण की स्वीकृत योजनाओं और दूसरी मुश्किलों के समाधान के लिए निगम के आगे धक्के खाने नहीं पड़ रहे हैं। लेकिन जो उनके साथ जो कनेक्ट स्थापित हो रहा है वो तारीफ के काबिल ही है।