ओडिशा में कैसे हुआ सब इंस्पेक्टर भर्ती घोटाला? राज्य के सबसे बड़े भर्ती घोटालों में एक का पर्दाफाश, अब तक 120 से ज्यादा गिरफ्तार
ओडिशा पुलिस के क्राइम ब्रांच, जिसने कथित गड़बड़ियों की जांच का जिम्मा संभाला है, उसने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि शुरुआती तौर पर उसे एक “संगठित आपराधिक सिंडिकेट” का पता चला है, जिसने परीक्षा प्रक्रिया को विफल करने की योजना बनाई थी। हालांकि, यह परीक्षा 5 और 6 अक्टूबर को होनी थी, जिसे
ओडिशा में कैसे हुआ सब इंस्पेक्टर भर्ती घोटाला? राज्य के सबसे बड़े भर्ती घोटालों में एक का पर्दाफाश
ओडिशा के इतिहास में सबसे बड़े भर्ती घोटालों में से एक की जांच में, ब्रह्मपुर पुलिस ने 30 सितंबर को ओडिशा-आंध्र प्रदेश सीमा के पास तीन बसों को रोका और 117 लोगों को हिरासत में लिया। एक दिन तक हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ और छानबीन के बाद पुलिस को पता चला कि 114 लोग ओडिशा पुलिस भर्ती बोर्ड (OPRB) की तरफ से कराई गई ओडिशा पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा के कैंडिडेट थे।
ओडिशा पुलिस के क्राइम ब्रांच, जिसने कथित गड़बड़ियों की जांच का जिम्मा संभाला है, उसने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि शुरुआती तौर पर उसे एक “संगठित आपराधिक सिंडिकेट” का पता चला है, जिसने परीक्षा प्रक्रिया को विफल करने की योजना बनाई थी। हालांकि, यह परीक्षा 5 और 6 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन OPRB ने "ऐसी घटनाओं" के कारण इसे स्थगित करने की घोषणा की। आइए जानते हैं क्या है ये पूरा घोटाला।
क्या है ओडिशा भर्ती घोटाला?
Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक, बसों को रोकने के बाद पुलिस को पता चला कि 117 लोग भुवनेश्वर से तीन स्पेशल AC स्लीपर बसों में सवार होकर आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में एक अज्ञात जगह पर जा रहे थे।
क्राइम ब्रांच के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "शुरुआती जांच से पता चला है कि एक संगठित आपराधिक गिरोह पैसे कमाने के लिए गलत तरीके से पूरी परीक्षा प्रक्रिया को विफल करने के लिए काम कर रहा है।"
उन्होंने विजयनगरम में गोपनीय प्रश्नपत्र हासिल करने, परीक्षा के लिए कुछ कोचिंग लेने और फिर अपने-अपने सेंटर पर परीक्षा देने के लिए भुवनेश्वर लौटने की योजना बनाई।
उम्मीदवारों ने किश्तों में 25-25 लाख रुपए देने पर सहमति जताई थी। शुरुआत में 10 लाख रुपए और बाकी नौकरी पक्की होने पर। पुलिस ने 114 उम्मीदवारों और तीन बिचौलियों समेत सभी 117 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
कथित घोटाले में अब तक कुल 120 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और क्राइम ब्रांच ने भुवनेश्वर में कुछ कोचिंग सेंटरों पर छापे भी मारे हैं।
ओडिशी पुलिस सब-इंस्पेक्टर भर्ती
17 जनवरी को, OPRB ने अलग-अलग श्रेणियों में सब इंस्पेक्टर के 933 पदों को भरने के लिए संयुक्त पुलिस सेवा परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया। 1.53 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। हालांकि यह परीक्षा पहले 8 और 9 मार्च को तय थी, लेकिन इसे 5 और 6 अक्टूबर के लिए रिशेड्यूल किया गया।
अब एक लाख से ज्यादा उम्मीदवार अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। OPRB ने घोषणा की है कि जांच पूरी होने के बाद, भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू की जाएगी और जल्द से जल्द पूरी की जाएगी।
आउटसोर्सिंग की कहानी
OPRB में केवल तीन सदस्य, तीन अधिकारी और कुछ कांस्टेबल होते हैं, और इसे विज्ञापन से लेकर परीक्षा के रिजल्ट आने तक भर्ती का पूरा कामकाज सौंपा जाता है, इसलिए इसने ITI लिमिटेड नाम की एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को नियुक्त किया। यह कंपनी प्रश्नपत्र तैयार करने, उसे प्रिंट करने और बाकी दूसरे कामों में शामिल थी।
पब्लिक सेक्टर की इस कंपनी ने सिलिकॉन टेकलैब को काम का उप-ठेका दिया, जिसने आगे कुछ काम पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज को आउटसोर्स कर दिए। दोनों निजी संस्थाएं थीं, और भुवनेश्वर में उनका दफ्तरों को अब सील कर दिया गया है।
पंचसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज के प्रमोटर शंकर प्रुस्ती कथित तौर पर तब से फरार हैं, जब से पुलिस ने कथित घोटाले का पता लगाया है। क्राइम ब्रांच ने सोमवार (13 अक्टूबर) को प्रुस्ती और कई दूसरे संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी किया, जबकि सीबी की कई टीमों ने झारखंड और बिहार में छापेमारी की।
OPRB ने कहा कि जब कोई केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम अपना कोई भी काम किसी थर्ड पार्टी को आउटसोर्स करता है, तो निगरानी और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी पूरी तरह से उसी की होती है। अब, OPRB ने ITI लिमिटेड को "अपने कॉन्ट्रैक्ट के दायित्वों को पूरा करने" में कथित विफलता के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
पिछले साल अक्टूबर में, ओडिशा अधीनस्थ कर्मचारी चयन समिति (OSSSC) की ओर से रेवेन्यू इंस्पेक्टरों (RI), अमीन और दूसरे पदों की भर्ती के लिए निजी संस्थाओं को नियुक्त करने के निर्णय के विरोध में ओडिशा के अलग-अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसमें अनियमितताओं का हवाला दिया गया था।
CBI जांच की मांग
हाल के दिनों में सैकड़ों अभ्यर्थी इस मामले की गहन जांच की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं। इस घोटाले में प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए, विपक्षी बीजू जनता दल (BJD) ने CBI जांच की मांग करते हुए राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है, जबकि कांग्रेस ने अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है।
सीबीआई जांच के लिए उड़ीसा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) भी दायर की गई है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया का आश्वासन दिया है और कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है।