Operation Sindoor: आखिरी पल तक भी टारगेट को रखा गुप्त, अजीत डोभाल ने कुछ ऐसे रचा था ऑपरेशन सिंदूर का चक्रव्यूह
Operation Sindoor: शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार, डोभाल ने न केवल इसकी रणनीतिक निगरानी की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया इस ऑपरेशन बड़ी ही सफाई, सावधानी और गोपनियता के साथ पूरा किया जाए। इस ऑपरेशन सिद्धांत ये था कि आतंकवादी ठिकानों को बड़ी ही सटीकता के साथ नष्ट किया जाए और बढ़ते तनाव को भी काबू में रखा जाए
Operation Sindoor: अजीत डोभाल ने कुछ ऐसे रचा था ऑपरेशन सिंदूर का चक्रव्यूह
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ऑपरेशन सिंदूर के असली वास्तुकार थे, जो हाल ही में पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किया गया था। ये एक बेहद ही खतरनाक, हाई प्रिसिजन अटैक ऑपरेशन था, जिसका मकसद पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों को बेअसर करना था। शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार, डोभाल ने न केवल इसकी रणनीतिक निगरानी की, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया इस ऑपरेशन बड़ी ही सफाई, सावधानी और गोपनियता के साथ पूरा किया जाए।
सूत्रों ने बताया कि लॉन्च से दो घंटे पहले तक टारगेट की फाइनल लिस्ट केवल डोभाल को ही पता थी। इससे पहले कई टारगेट लिस्ट तैयार की गई थीं और उन्हें सैन्य बलों के साथ शेयर किया गया था, लेकिन ऑपरेशन की गोपनीयता बनाए रखने और ज्यादा से ज्यादा सामरिक लाभ हासिल करने के लिए आखिरी समय में इसमें बदलाव किए गए।
इस ऑपरेशन सिद्धांत ये था कि आतंकवादी ठिकानों को बड़ी ही सटीकता के साथ नष्ट किया जाए और बढ़ते तनाव को भी काबू में रखा जाए।
टू-फेज सिद्धांत
इस ऑपरेशन को टो-फेज में पूरा किया गया था। पहले फेज में, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान के पंजाब में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे समूहों से जुड़े आतंकी कैंप, सेफ हाउस और लॉजिस्टिकल सेटर पर हमला करने पर फोकस किया गया था। इनका मकसद भारतीय धरती पर हमलों के लिए जिम्मेदार गुटों की रीढ़ तोड़ना था।
सूत्रों के अनुसार, दूसरे चरण को रिजर्व में रखा गया था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तानी सेना के प्रतिष्ठानों - जैसे ड्रोन बेस और अग्रिम सैन्य चौकियों - को शामिल करते हुए अभियान को आगे बढ़ाना था, लेकिन केवल तभी जब पाकिस्तानी सेना सीधे जवाबी कार्रवाई करे या उसका समर्थन करे। इस सिद्धांत से भारत के लंबे समय से विकसित डिफेंसिव ऑफेंसिव नीति का पता चलता है।
बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकानों पर नजर रखी जा रही है। ये जगह ऐतिहासिक रूप से टॉप लेवल के आतंकी नेतृत्व से जुड़े हुए हैं। अधिकारियों ने कहा कि यह महत्वपूर्ण था कि मास्टरमाइंड और पाकिस्तानी सेना दोनों को साफ संदेश दिया जाए कि कोई भी टारगेट हमारी पहुंच से बाहर नहीं है।
इंटेलिजेंस और सर्विलांस
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की बढ़ी हुई इंटेलिजेंस और सर्विलांस क्षमताओं को भी रेखांकित किया। रियल टाइम इंटेलिंजेस जानकारी खासतौर से मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) और दूसरे जमीनी स्तर के असेट्स से हासिल की गई थी। विशेष रूप से POK और पाकिस्तान के पंजाब के भीतर एक्टिव ठिकानों की पहचान करने के लिए। संभावित लक्ष्यों का एक बड़ा डेटाबेस उपलब्ध था।
तकनीकी सपोर्ट के लिए, टारगेट की पुष्टि के लिए ISRO से मिली सैटेलाइट इनपुट का इस्तेमाल किया गया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि हमले सटीक रहे और आम नागरिकों के नुकसान को जितना हो सके टाला जा सके।
चीनी संलिप्तता का पता चला
सरकारी सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सबसे बड़े घटनाक्रमों में से एक पाकिस्तान के रडार और तकनीकी सिस्टम में चीन की मौजूदगी का पता लगाना था। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के पहले दिन से ही चीन का सपोर्ट एक्टिव और साफ था।
रक्षा मंत्रालय समर्थित ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज सेंटर के DG अशोक कुमार के निष्कर्षों से इस आकलन और पुष्टि होती है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि चीन ने पहलगाम नरसंहार के बाद दो हफ्ते में पाकिस्तान को अपने रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को फिर से ऑर्गनाइज करने और भारत पर सैटेलाइट कवरेज को समायोजित करने में मदद की थी - जो संघर्ष की शुरुआत में चीन की गहरी संलिप्तता की ओर इशारा करता है।
रणनीतिक संदेश
अधिकारियों ने कहा कि डोभाल का इरादा न केवल पहलगाम हमले का कड़ा जवाब देना था, बल्कि सर्जिकल एंटी-टेरर स्ट्राइक से लेकर मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ संभावित बढ़ोतरी तक - एक कैलिब्रेटेड स्पेक्ट्रम में कार्रवाई करने के लिए भारत की तत्परता का प्रदर्शन करके रणनीतिक समीकरण को बदलना भी था। इस संदेश का मकसद पाकिस्तान के लॉन्ग टर्म "नॉन-स्टेट एक्टर" नैरेटिव को अलग-थलग करना था
शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार, डोभाल ने हाई वैल्यू टारगेट के व्यापक सेट पर भी जोर दिया, ताकि अगर स्थिति और बिगड़ती है तो "चीजों को एक बार में ही निपटाया जा सके"।
ऑपरेशन सिंदूर का लक्ष्य पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था। इसके तुरंत बाद, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LOC) पर गोलाबारी शुरू कर दी और सीमा पर ड्रोन हमले करने की कोशिश की।
भारत ने रडार सिस्टम, कम्यूनिकेशन सेंटर और एयर फील्ड को निशाना बनाते हुए 11 एयरबेसों पर व्यापक हमला करके इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। बाद में 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्ष खत्म करने पर सहमति बनने के बाद तनाव कम हुआ।