पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज होती नज़र आ रही है। चुनाव से पहले पार्टी बदलने और नए समीकरण बनने का दौर शुरू हो गया है। इसी बीच वामदलों के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। शनिवार (29 नवंबर) को कूचबिहार से शुरू हुई CPM की 'बांग्ला बचाओ यात्रा' के दौरान ही पार्टी के दो सौ से अधिक कार्यकर्ता अचानक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।
जानकारी के मुताबिक, जलपाईगुड़ी जिले के गरल बाड़ी इलाके में CPM कार्यकर्ताओं ने जिला परिषद अध्यक्ष कृष्ण रॉय बर्मन से तृणमूल कांग्रेस पार्टी का झंडा ले लिया। यह इलाका कभी वामपंथी राजनीति का मजबूत गढ़ माना जाता था। लेकिन इस क्षेत्र में CPM कार्यकर्ताओं का तृणमूल में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
स्थानीय आंकड़ों के अनुसार, गरल बाड़ी पंचायत समिति में कुल 21 सीटें हैं, जिनमें से तृणमूल के पास बहुमत है। CPM के पास 7 सीटें हैं, जबकि भाजपा केवल 1 सीट पर है। ऐसे में CPM के इतने बड़े कार्यकर्ता समूह का टूटना पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया है।
वहीं, तृणमूल नेताओं का यह भी दावा है कि सिर्फ CPM से ही नहीं, बल्कि BJP से भी कई कार्यकर्ता पार्टी में आए हैं। तृणमूल के पूर्व जिला अध्यक्ष चंदन भौमिक ने दावा किया कि 300 से ज्यादा लोग पार्टी में शामिल हुए हैं और यह सिलसिला अब भी जारी है।
लेकिन भाजपा ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया। भाजपा के पूर्व जिला सचिव श्याम प्रसाद ने व्यंग्य करते हुए कहा, "तृणमूल झूठ बोल रही है। वहां 300 लोग थे ही नहीं। तृणमूल खुद टूट रही है, लोग वहां जाने के बजाय दूर भाग रहे हैं।"
दूसरी ओर, CPM के स्थानीय नेतृत्व को इस घटना की सूचना ही नहीं थी। CPM जिला समिति के सदस्य इस्माइल हक ने कहा कि वे "बांग्ला बचाओ यात्रा" की तैयारी में व्यस्त थे और उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं मिली। उन्होंने कहा कि वे मामले की जांच करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में बदलते वोट की ओर इशारा कर रही है। खासकर उत्तर बंगाल के जिलों में राजनीतिक मुकाबला पहले से ही गर्म है और ऐसी घटनाएं चुनावी तस्वीर को और बदल सकती हैं।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अगले साल मार्च या अप्रैल महीने में होने की संभावना है, क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 7 मई 2026 को खत्म हो रहा है, इसलिए चुनाव इससे पहले कराए जाएंगे। इसको लेकर राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया भी जारी है, ताकि सही और अपडेटेड वोटर लिस्ट तैयार की जा सके। राजनीतिक दलों ने अभी से अपनी रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है और राज्य में राजनीतिक हलचल भी बढ़ने लगी है। आने वाले महीनों में रैलियां, और चुनाव प्रचार पहले से ज्यादा तेज होने वाली है।