Tejas Mk-2: ‘मेड इन इंडिया’ लड़ाकू विमान को मिलेगा फ्रेंच इंजन का दम! सफ्रान के साथ साझेदारी की तैयारी

Tejas LCA Mk-2: फिलहाल अमेरिकी रक्षा कंपनी GE Aerospace तेजस Mk-1 फाइटर जेट के लिए F404-IN20 इंजन की सप्लाई कर रही है, लेकिन सप्लाई में देरी के चलते भारतीय वायुसेना की प्लानिंग पर असर पड़ रहा। ऐसे में भारत अब तेज रफ्तार से स्वदेशी प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार कर रहा है

अपडेटेड May 27, 2025 पर 7:15 PM
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Tejas Mk-2: ‘मेड इन इंडिया’ लड़ाकू विमान को मिलेगा फ्रेंच इंजन का दम! सफ्रान के साथ साझेदारी की तैयारी

भारत अब अपने लड़ाकू विमानों के इंजन निर्माण को लेकर नई दिशा में एक अहम कदम उठाने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के शीर्ष सूत्रों ने Moneycontrol को बताया, भारत फ्रांस की एयरोस्पेस और डिफेंस कंपनी सफ्रान (Safran) के साथ पार्टनरशिप के विकल्प पर विचार कर रहा है। इस साझेदारी का उद्देश्य भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए आधुनिक इंजन तैयार करना और तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) Mk-2 जैसे अगली पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमानों के लिए इंजन डेवलप करना है।

फिलहाल अमेरिकी रक्षा कंपनी GE Aerospace तेजस Mk-1 फाइटर जेट के लिए F404-IN20 इंजन की सप्लाई कर रही है, लेकिन सप्लाई में देरी के चलते भारतीय वायुसेना की प्लानिंग पर असर पड़ रहा। ऐसे में भारत अब तेज रफ्तार से स्वदेशी प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार कर रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, भारत को वर्तमान सुरक्षा स्थिति और ऑपरेशन सिंदूर के बाद तेजी से लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में दोहराया कि अगर भारतीय सीमा पर कोई आतंकी हमला होता है, तो उसका जवाब कड़ा होगा — चाहे हमलावर स्टेट हो या नॉन-स्टेट एलिमेंट्स।


भारतीय वायुसेना का लक्ष्य 42 स्क्वाड्रन का है, जबकि फिलहाल सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही उपलब्ध हैं। एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने फरवरी में बेंगलुरु में हुए एयरो इंडिया 2025 शो में तेजस Mk-1 की डिलीवरी में हो रही देरी पर चिंता जताई थी। इसके जवाब में HAL ने कहा था कि देरी तकनीकी कारणों से हो रही है और जल्द समाधान किया जाएगा।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत विदेशी सप्लायर्स पर निर्भरता को लेकर सतर्क हो गया है। डिवाइस की सप्लाई, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भरोसेमंद पार्टनर की जरूरत को देखते हुए भारत अब सफ्रान जैसी कंपनियों के साथ मिलकर स्वदेशी इंजन डेवलप करने को रफ्तार देना चाहता है।

एक वरिष्ठ रक्षा सूत्र ने कहा, “भारत अब हर संभव विकल्प की तलाश में है।”

तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की कहानी

भारतीय वायुसेना (IAF) के तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Tejas LCA) प्रोग्राम की शुरुआत 2009-10 में हुई थी, जब पहली बार तेजस Mk-1 की 40 यूनिट्स (32 फाइटर और 8 ट्रेनर) का ऑर्डर दिया गया। यह विमान 2016 तक मिलने थे। इसके बाद फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच 48,000 करोड़ रुपए की डील के तहत 83 और तेजस Mk-1A (73 फाइटर और 10 ट्रेनर) का दूसरा ऑर्डर दिया गया।

इस बैच की डिलीवरी 2024 के मध्य से शुरू होनी थी, लेकिन इसमें देरी हो रही है। इसका एक बड़ा कारण अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस की ओ F404-IN20 इंजन की सप्लाई में हुई देरी है, जो इन विमानों में लगाए जाने थे। शुरुआती बातचीत में इस डील में 80 प्रतिशत तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का प्रस्ताव भी शामिल था।

मार्च में GE ने जानकारी दी कि उसने 2021 के ऑर्डर के लिए HAL को 99 F404-IN20 इंजन सौंप दिया है। इससे पहले GE 2016 तक Mk-1 वर्जन के लिए 65 इंजन दे चुका है। GE का एक और इंजन — F414-GE-INS6 — तेजस Mk-2 और भविष्य के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) के लिए चुना गया है।

अब भारत फ्रांस की Safran कंपनी के साथ साझेदारी की संभावना तलाश रहा है, जिससे तेजस Mk-2 के लिए इंजन तैयार किए जा सकें। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, हाल के भारत-पाक तनाव के बाद भारत को बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान इंजन की जरूरत है। ऐसे में वैकल्पिक सप्लायर्स की तलाश जारी है, ताकि डिफेंस प्रोडक्शन में आत्मनिर्भरता बढ़ाई जा सके।

तेजस Mk-2 एक 4.5 जेनरेशन फाइटर जेट होगा, जिसका वजन लगभग 17.5 टन होगा। इसे वायुसेना के पुराने फाइटर जैसे मिराज-2000, जैगुआर और MiG-29 की जगह तैनात किया जाएगा।

Nalin Mehta

Nalin Mehta

First Published: May 27, 2025 7:15 PM

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