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बेंगलुरु की सड़कों पर फिर दौड़ेंगी बाइक टैक्सी, Uber और Rapido की हुई वापसी! जानें नया नियम

Rapido, OLA-Uber : रैपिडो और उबर का यह कदम, कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद आया है। बता दें कि एक दिन पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को एक महीने के अंदर बाइक टैक्सी पॉलिसी तैयार करने का निर्देश दिया गया था

अपडेटेड Aug 21, 2025 पर 8:51 PM
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बेंगलुरु में बाइक टैक्सी सर्विस को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है।

Rapido, OLA-Uber Taxi Service in Bengaluru: अगर आप बेंगलुरु में रहते हैं और रैपिडो- उबर का इस्तेमाल करते थे तो अब आपके एक बड़ी खुशखबरी आई है। रैपिडो और उबर ने गुरुवार यानी 21 अगस्त को एक बार फिर बेंगलुरु में बाइक टैक्सी सर्विस लॉन्च कर दी है। बेंगलुरु के अलावा कर्नाटक के कई अन्य शहरों में भी कैब सर्विस प्रोवाइडर्स ने बाइक टैक्सी सर्विस शुरू कर दी है। अब शहर के लोगों को दोबारा सस्ती और आसान यात्रा के लिए बाइक टैक्सी का ऑपशन मिल गया है।

बाइक टैक्सी सर्विस पर ये फैसला

रैपिडो और उबर का यह कदम, कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद आया है। बता दें कि एक दिन पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने सरकार को एक महीने के अंदर बाइक टैक्सी पॉलिसी तैयार करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, लेकिन उबर, ओला और रैपिडो के ऐप पर फिर से बाइक टैक्सी बुकिंग का ऑपशन दिख रहा है। बता दें कि, कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा था कि, बाइक टैक्सी सर्विस को बैन करने की बजाय नियमों के तहत चलाना बेहतर होगा।

कोर्ट ने दिया ये निर्देश

ओला और रैपिडो की अपीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी के बेंच में कहा था कि, “इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें, क्योंकि यह लोगों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। हर बिजनेस तब तक स्वीकार्य है जब तक उसे नियमों के तहत चला जाएबाइक टैक्सी कोई अतिरिक्त या गैर-जरूरी बिजनेस नहीं है।” अदालत ने कहा कि बाइक टैक्सी सर्विस पहले ही 13 राज्यों में कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हैं और इन्हें संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ग) के तहत संरक्षण प्राप्त हैसाथ ही, राज्य सरकार को 22 सितंबर तक इन सेवाओं के लिए नियम बनाने का निर्देश दिया गया है।


जून में बंद हुई था सर्विस

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि, नियम बनने तक बाइक टैक्सी प्रोवाइडर पर कोई सजा नहीं दी जाएगीवहीं, सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने अदालत को भरोसा दिलाया कि, सरकार नीति पर सोच-समझकर निर्णय लेगी, लेकिन फिलहाल नए दिशानिर्देश बनाने की योजना नहीं है। बता दें कि बेंगलुरु में बाइक टैक्सियां सस्ती और आसान यात्रा का जरिया रही हैं, और यहां करीब छह लाख बाइकें चलती हैंलेकिन इनकी कानूनी स्थिति कई सालों से विवाद का हिस्सा रही हैअप्रैल में, कर्नाटक हाईकोर्ट के एक बेंच ने कहा था कि राज्य सरकार नए नियम बनाने तक बाइक टैक्सियों की सर्विस बंद रहे और इसके लिए समय सीमा जून तक तय की गई थी

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