यूनियन कैबिनेट की बैठक में 12 नवंबर को कई बड़े फैसले लिए गए। कैबिनेट ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दे दी। कुल छह सालों के लिए इस मिशन का फंड 25,060 करोड़ रुपये तय है। इसकी शुरुआत इस वित्त वर्ष से हो गई है। इससे विदेशी बाजार में भारतीय प्रोडक्ट्स की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी। खासकर एमएसएमई, फर्स्ट टाइम एक्सपोर्टर और लेबर इनटेंसिव सेक्टर्स को इससे काफी फायदा होगा। अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी।
यूएस टैरिफ से प्रभावित सेक्टर्स को मिलेगी मदद
ईपीएम के तहत उन प्रायरिटी सेक्टर्स को मदद मिलेगी, जिन पर 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ का ज्यादा असर पड़ा है। इनमें टेक्सटाइल्स, लेदर, जेम्स एंड ज्वेलरी, इंजीनियरिंग गुड्स और मरीन प्रोडक्ट्स शामिल हैं। सरकार की इस मदद से कंपनियां एक्सपोर्ट में प्रतियोगिता का सामना कर सकेंगी, इन सेक्टर्स में नौकरियां नहीं जाएंगी और कंपनियों को निर्यात के नए बाजारों में एंट्री में आसानी होगी।
यह मिशन 2030-31 तक जारी रहेगा
अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। यह 27 अगस्त से लागू हो चुका है। इसका काफी असर इंडिया के एक्सपोर्ट पर पड़ा है। सरकार ने पहली बार 2025-26 के बजट में इस मिशन का एलान किया था। इसके लिए 2,250 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। अब इस मिशन के लिए आवंटन बढ़ा दिया गया है। अब यह मिशन अतिरिक्त पांच सालों यानी 2030-31 जारी रहेगा।
इंडियन एक्सपोर्ट्स चैलेंजेज का मुकाबला कर सकेंगे
ईपीएम के जरिए सरकार कई अलग-अलग स्कीमों की जगह एक सिंगल, रिजल्ट आधारित और इस्तेमाल में आसान मदद की व्यवस्था पर फोकस करना चाहती है। इससे इंडियन एक्सपोर्ट्स को एक्सपोर्ट से जुड़ी चुनौतियों और निर्यात की बदलती जरूरतों के हिसाब से खुद को बदलने में मदद मिलेगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक्सपोर्टर्स काफी समय से सरकार की तरफ से किसी बड़ी स्कीम की उम्मीद कर रहे थे।
क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स को भी मंजूरी
यूनियन कैबिनेट ने एक क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर एक्सपोर्टर्स को भी मंजूरी दे दी। इस स्कीम के तहत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) बैंकों को फुल क्रेडिट गांरटी कवरेज ऑफर करेगी। इसे तहत एमएसएमई सहित शर्तें पूरी करने वाले एक्सपोर्ट्स को 20,000 रुपये तक का अतिरिक्त लोन मिल सकेगा। सरकार ने यह बताया है कि मिशन दो इंडिग्रेटेड सब स्कीम-निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा के तहत काम करेगी।
निर्यात प्रोत्साहन के तहत मिलेगी यह मदद
निर्यात प्रोत्साहन के तहत एमएसएमई की पहुंच सस्ते ट्रेड फाइनेंस तक बनाने के उपाय होंगे। इसके लिए इंटरेस्ट सबवेंशन, एक्सपोर्ट फैक्टरिंग, कोलैटरल गारंटीज, क्रेडिट कार्ड्स और क्रेडिट इनहैंसमेंट सपोर्ट जैसे उपायों का इस्तेमाल होगा। निर्यात दिशा के तहत एक्सपोर्ट्र्स को एक्सपोर्ट से जुड़ी क्वालिटी और कंप्लायंस के मामले में मदद मिलेगी।