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UP News: क्या 'जाति' के बिना उत्तर प्रदेश में नहीं गलेगी दाल? योगी सरकार के इस फैसले से घबराया विपक्ष

UP News: एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूपी के सभी पुलिस कप्तान और जिला प्रशासनों के लिए जारी यह आदेश 16 सितंबर के इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के अनुपालन में लिया गया है। आधिकारिक आदेश के अनुसार, आरोपियों की जाति अब पुलिस रजिस्टरों, केस डिटेल्स, गिरफ्तारी दस्तावेजों या पुलिस थानों के नोटिस बोर्ड पर दर्ज नहीं की जानी चाहिए

अपडेटेड Sep 23, 2025 पर 3:15 PM
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UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने जाति-आधारित राजनीतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस रिकॉर्ड और सार्वजनिक नोटिसों से सभी जातिगत संदर्भों को तत्काल हटाने और वाहनों पर जाति-आधारित स्टिकर लगवाने या नारे लिखवाने वालों पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। इसके अलावा राज्य में राजनीतिक उद्देश्यों वाली जाति-आधारित रैलियों और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जबकि जातिगत गौरव या घृणा को बढ़ावा देने वाली सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य जाति-आधारित भेदभाव को खत्म करना है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी पुलिस कप्तान और जिला प्रशासनों के लिए जारी यह आदेश 16 सितंबर के इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के अनुपालन में लिया गया है। आधिकारिक आदेश के अनुसार, कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने निर्देश दिया है कि आरोपियों की जाति अब पुलिस रजिस्टरों, केस डिटेल्स, गिरफ्तारी दस्तावेजों या पुलिस थानों के नोटिस बोर्ड पर दर्ज नहीं की जानी चाहिए।

पीटीआई के मुताबिक, निर्देश में कहा गया है कि राज्य के अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम पोर्टल को भी जाति संबंधीफील्डहटाने के लिए अपडेट किया जाएगा। निर्देश में कहा गया है कि पुलिस रिकॉर्ड में आरोपी व्यक्तियों के पिता और माता दोनों के नाम शामिल होने चाहिए। वाहनों पर जाति-आधारित स्टिकर लगवाने या नारे लिखवाने वालों पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

सरकारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारियों को कस्बों और गांवों में ऐसे बोर्ड या संकेत हटाने के लिए भी कहा गया है जो जातिगत पहचान का महिमामंडन करते हैं या किसी क्षेत्र को किसी विशेष जाति से संबंधित बताते हैं। राज्य में जाति-आधारित रैलियों और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर बैन लगा दिया गया है। बयान में कहा गया है कि ऑनलाइन जाति-आधारित दुश्मनी फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।

हाई कोर्ट ने दिया था आदेश

प्रवीण छेत्री बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस को आरोपी व्यक्तियों की जाति का उल्लेख नहीं करने का निर्देश दिया था। साथ ही राज्य को सार्वजनिक एवं डिजिटल माध्यमों में जाति के महिमामंडन को रोकने का निर्देश दिया।


सपा ने उठाए सवाल

सरकार के आदेश को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को X पर एक पोस्ट के जरिए सत्तारूढ़ दल पर तीखा प्रहार किया। यादव ने लिखा, "5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा? और वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से जाति-प्रदर्शन से उपजे जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए क्या किया जाएगा?"

सपा प्रमुख ने कहा, "किसी के मिलने पर नाम से पहले 'जाति' पूछने की जातिगत भेदभाव की मानसिकता को खत्म करने के लिए क्या किया जाएगा? किसी का घर धुलवाने की जातिगत भेदभाव की सोच का अंत करने के लिए क्या उपाय किया जाएगा?" यादव ने पूछा, "किसी पर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाकर बदनाम करने के जातिगत भेदभाव से भरी साजिशों को समाप्त करने के लिए क्या किया जाएगा?"

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वहीं, अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "स्वजातीय, वर्चस्ववादी और ताकतवर लोगों को हर जगह बैठाया हुआ है। यह जो 5000 साल पुरानी बातें थी उनको दूर कैसे करेंगे, बाबा साहब को जाति की वजह से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा।" उन्होंने आगे कहा, "सबसे ज्यादा अन्याय दलितों के साथ हो रहा है, कल को यह कहेंगे कि हरिजन एक्ट भी नहीं लिखा जाएगा। हमें उम्मीद है न्याय मिलेगा जब बीजेपी हटेगी।"

Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Sep 23, 2025 3:08 PM

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