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Diwali 2025 : दिवाली से पहले इस राज्य ने लगाया पटाखों पर बैन, दिया ये आदेश

Diwali 2025 : दिवाली से पहले उत्तर प्रदेश में पटाखा बाजार पूरी तरह सज गया है। नुमाई मैदान में लगे स्टॉलों पर खरीदार धीरे-धीरे पहुंच रहे हैं और उत्साह के साथ खरीदारी कर रहे हैं। बाजार में तरह-तरह के पटाखे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इनमें “ऑपरेशन सिंदूर” ब्रांड के पटाखे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं

अपडेटेड Oct 18, 2025 पर 7:41 PM
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Diwali 2025: दिवाली से पहले सिक्किम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

दिवाली से पहले सिक्किम सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सिक्किम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) ने शनिवार को आदेश जारी करते हुए राज्य में सभी तरह के पटाखों के निर्माण, बिक्री और इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। यह फैसला 20 अक्टूबर को आने वाली दिवाली से पहले लिया गया है।

बोर्ड ने लोगों से अपील की है कि वे पटाखों और सिंगल-यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें। इसके बजाय त्योहार को मनाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल तरीकों जैसे दीयों, लाइटिंग और सांस्कृतिक आयोजनों को अपनाएं। एसपीसीबी ने कहा कि यह कदम राज्य में प्रदूषण कम करने और दिवाली को स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।


खूब बिक रहे हैं “ऑपरेशन सिंदूर” ब्रांड के पटाखे 

बता दें कि, दिवाली से पहले उत्तर प्रदेश में पटाखा बाजार पूरी तरह सज गया है। नुमाई मैदान में लगे स्टॉलों पर खरीदार धीरे-धीरे पहुंच रहे हैं और उत्साह के साथ खरीदारी कर रहे हैं। बाजार में तरह-तरह के पटाखे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इनमें “ऑपरेशन सिंदूर” ब्रांड के पटाखे और भारतीय क्रिकेटर रिंकू सिंह की तस्वीर वाले पटाखे सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। इनकी मांग लगातार बढ़ रही है। इस बीच, 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर लगे अपने पुराने पूर्ण प्रतिबंध में थोड़ी ढील दी है। कोर्ट ने सख्त शर्तों के साथ केवल हरित पटाखों (Green Crackers) की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी है।

दिल्ली में ग्रीन पटाखों की अनुमति

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति केवल 18 से 20 अक्टूबर तक ही दी है। अदालत ने साफ कहा है कि इन दिनों में पटाखे सिर्फ सुबह 6 से 7 बजे तक और रात 8 से 10 बजे तक ही चलाए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अनुमति अस्थायी है और इसे एक परीक्षण के तौर पर लागू किया गया है। अदालत ने लोगों से अपील की कि त्योहारों के दौरान ऐसा तरीका अपनएं ताकि जश्न के साथ-साथ पर्यावरण की भी रक्षा हो सके। कोर्ट ने कहा, “हमें खुशी और पर्यावरण दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा, ताकि उत्सव मनाने में प्रकृति को नुकसान न पहुंचे।”

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