Siddaramaiah vs DK Shivakumar: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान वाकयुद्ध में बदल गई है। दोनों एक 'वचन' निभाने को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। सत्ता संघर्ष के बीच शिवकुमार ने कहा, "वचन की ताकत ही विश्व-ताकत है।" इस पर सिद्धारमैया ने चुटकी लेते हुए जवाब दिया, "वचन तभी ताकत बनता है, जब वह लोगों की जिंदगी बेहतर करे।" सिद्धारमैया जोर दे रहे हैं कि वह पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। वहीं, शिवकुमार चाहते हैं कि सरकार का आधा कार्यकाल पूरा होने (20 नवंबर को) के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने X पर पोस्ट कर कहा, "कर्नाटक के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वह क्षण भर के लिए नहीं, बल्कि पूरे पांच साल की जिम्मेदारी है।" इससे पहले शिवकुमार ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर लिखा, "अपनी बात पर कायम रहना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है! वचन की ताकत ही विश्व-शक्ति है।" उन्होंने कहा, "चाहे जज हों... या कोई और, चाहे मैं ही क्यों न हूं, सबको अपनी बात पर कायम रहना चाहिए। वचन की ताकत ही दुनिया की असली ताकत है।"
इस गूढ़ पोस्ट को कांग्रेस और सिद्धरमैया को याद दिलाने वाला माना जा रहा है कि 2023 में, जब दोनों मुख्यमंत्री पद के लिए होड़ में थे। पार्टी ने राज्य चुनाव में जीत हासिल की थी तो उनके बीच कथित रूप से सत्ता-साझाकरण का समझौता हुआ था। सिद्धारमैया ने अपने पोस्ट में बताया कि उन्होंने दुनिया को बेहतर कैसे बनाया। उन्होंने इसके लिए पांच गारंटी योजनाओं 'शक्ति', 'गृह लक्ष्मी', 'युवा निधि', 'अन्न भाग्य' और 'गृह ज्योति' का जिक्र किया।
ये योजनाएं मुफ्त बिजली, महिलाओं को नकद सहायता और महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा से संबंधित हैं। सिद्धारमैया ने कहा कि 2013 से 2018 तक उनके पहले कार्यकाल में 165 में से 157 वादे पूरे किए गए, यानी 95 प्रतिशत से अधिक वादे पूरे हुए। उन्होंने कहा, "मौजूदा कार्यकाल में, 593 में से 243 से अधिक वादे पूरे हो चुके हैं। बाकी सभी वादे प्रतिबद्धता, विश्वसनीयता और सावधानी के साथ पूरे किए जाएंगे।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "कर्नाटक की जनता द्वारा दिया गया जनादेश क्षण भर के लिए नहीं, बल्कि पूरे पांच साल की जिम्मेदारी है। मुझ समेत कांग्रेस पार्टी अपने लोगों के लिए सच्चाई, स्थिरता और साहस के साथ काम कर रही है। कर्नाटक के लिए हमारा वचन कोई नारा नहीं है, बल्कि हमारे लिए बहुत मायने रखता है।"
कर्नाटक में जारी सत्ता संघर्ष में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री शिवकुमार का समर्थन करने वाले जाति समूह खुलकर उनके पक्ष में आ गए। एक समूह ने कांग्रेस को मौजूदा मुख्यमंत्री को हटाने के खिलाफ चेतावनी दी। जबकि दूसरे समुदाय ने शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने का पुरजोर समर्थन किया।
पार्टी नेतृत्व पर इस विवाद को खत्म करने के बढ़ते दबाव के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह इस मामले को सुलझाने के लिए राहुल गांधी और सिद्धारमैया-शिवकुमार सहित चुनिंदा नेताओं के साथ बैठक करेंगे। इस बीच, सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने कहा कि उनके पिता के लिए पांच साल के कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा देने का कोई कारण नहीं है।
उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया अच्छा काम कर रहे हैं। उन पर कोई आरोप नहीं है। उन्हें पार्टी के विधायकों का पूरा समर्थन भी है। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल पार्टी के वरिष्ठ नेता एव गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व एक हफ्ते के भीतर इस मुद्दे को सुलझा लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके अनुभव और क्षमता को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दी जाती है तो वह जनता की सेवा करेंगे।