Up BJP president: यूपी में महिला अध्यक्ष पर BJP खेलेगी दांव? दिल्ली में मंथन तेज, 15 जनवरी के बाद आ सकता है फैसला

UP BJP President: यूपी में भाजपा ने जब से 14 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की है तभी से पार्टी के नए अध्यक्ष की चर्चा जोरो पर है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर दिल्ली में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मंथन शुरू कर दिया है। जल्द ही नए अध्यक्ष का नाम भी सामने आ जाएगा।

अपडेटेड Nov 28, 2025 पर 12:00 PM
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यूपी में महिला अध्यक्ष पर BJP खेलेगी दांव? दिल्ली में मंथन तेज, 15 जनवरी के बाद आ सकता है फैसला

UP BJP President: यूपी में भाजपा ने जब से 14 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की है तभी से पार्टी के नए अध्यक्ष की चर्चा जोरों पर है। जिसको लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व में भी मंथन शुरू हो गया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर दिल्ली में राय मशविरा चल रहा है। जल्द ही नए अध्यक्ष का नाम भी सामने आ जाएगा।

बता दें कि बीते बुधवार देर रात को बीजेपी ने यूपी में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले 14 संगठनात्मक जिलों में जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी थी। इनमें से पांच को दोबारा मौका दिया गया है। अब तक 98 में से 84 जिलों में जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं। अब अध्यक्ष चुनने की बारी है। देखना होगा की भाजपा किसे प्रदेश का नया अध्यक्ष नियुक्त करती है।

पार्टी ने पिछड़ा वर्ग को सर्वाधिक तरजीह देते हुए सात जिलाध्यक्ष इसी वर्ग से बनाए हैं। जबकि सामान्य वर्ग के छह और अनुसूचित वर्ग से एक जिलाध्यक्ष बनाया गया है।


राष्ट्रीय नेतृत्व एक्टिव, प्रदेश अध्यक्ष पर राय मशविरा तेज

पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व के द्वारा चर्चा की जा रही है, साथ ही यूपी के प्रमुख नेताओं से भी राय मशविरा की जा रही है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने जनवरी में ही अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, पूर्व डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता, संजय राय, अमरपाल मौर्य, प्रियंका रावत सहित अन्य नेताओं से बातचीत की थी।

सभी प्रमुख नेताओं से चर्चा के बाद तावड़े ने रिपोर्ट भी केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दी थी। उसके बाद दिल्ली में भी सीएम योगी, केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से रायशुमारी हो चुकी है।

दिल्ली में मंथन जारी

बीजेपी पदाधिकारी के मुताबिक, यूपी सहित जिन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नियुक्ति नहीं हुई है उस पर राय मशविरा तेजी से चल रहा है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष, गृहमंत्री अमित शाह सहित अन्य वरिष्ठ नेता इस पर मंथन कर रहे हैं। यूपी में जल्द ही पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव भी आ रहा है, जिसको देखते हुए पार्टी जल्द ही अध्यक्ष की नियुक्ति कर सकती है।

सियासी समीकरण को देखकर चुना जाएगा प्रदेश अध्यक्ष

भाजपा के जानकारों का मानना है कि यूपी में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं होगी, बल्कि इससे आसपास के राज्यों के राजनीतिक संतुलन पर भी असर पड़ेगा। प्रदेश अध्यक्ष चुनते समय यह ध्यान रखा जाएगा कि हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, बिहार और मध्य प्रदेश में किन जातियों के नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। यूपी में भी ऐसी जाति के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है, जिससे उसका राजनीतिक संदेश पड़ोसी राज्यों तक पहुंचे।

राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौर तेली (ओबीसी) समुदाय से हैं। हरियाणा में मोहनलाल बडौली ब्राह्मण (सामान्य) वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष हैं। मध्यप्रदेश के भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल वैश्य (सामान्य) समुदाय से हैं। बिहार में वर्तमान में दिलीप जायसवाल कलवार (ओबीसी) समाज से प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन उन्हें नीतीश सरकार में मंत्री बनाए जाने के कारण बिहार में जल्द ही नया अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। दिल्ली में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा हैं, जहां भी प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है। उत्तराखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ब्राह्मण (सामान्य) समुदाय से हैं।

अगड़ी और पिछड़ी जातियों पर उलझी गुत्थी

बीजेपी पदाधिकारी ने बताया कि यूपी में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति अगड़ी और पिछड़ी जातियों के संतुलन पर अटकी हुई है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का तर्क है कि चूंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सामान्य वर्ग से आते हैं, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष किसी पिछड़े वर्ग के नेता को बनाया जाना चाहिए। वहीं, कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया है और कहा है कि 2017 में जिस तरह से मुख्यमंत्री और अध्यक्ष सामान्य वर्ग से थे इस बार भी वैसा ही होना चाहिए। इस विचारधारा के नेता चाहते हैं कि इस बार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी प्रभावी ब्राह्मण नेता को दी जाए।

एक साल में सामने आए कई नाम

यूपी में पिछले एक साल में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कई नाम सामने आए हैं, जिनमें पिछड़े, अगड़े और दलित वर्ग के नेता शामिल हैं। चलिए आपको वर्ग के आधार पर बताते हैं कि किस नेता का नाम ज्यादा चर्चा में है-

पिछड़े वर्ग के नेताओं में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह, राज्यसभा सदस्य एवं प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य, राज्यसभा सदस्य बाबूराम निषाद, राष्ट्रीय मंत्री रेखा वर्मा, पूर्व मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति शामिल हैं। जिनका नाम अध्यक्ष पद के लिए सुझाया गया है।

वहीं, अगड़े वर्ग में ब्राह्मण समाज से डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, पूर्व डिप्टी सीएम एवं राज्यसभा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा, पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी, पूर्व मंत्री एवं मथुरा के विधायक श्रीकांत शर्मा, नोएडा के सांसद डॉ. महेश शर्मा, अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय का नाम भी चर्चा में सामने आया।

दलित वर्ग से MLC विद्यासागर सोनकर, पूर्व मंत्री रामशंकर कठेरिया, महिला कल्याण मंत्री बेबीरानी मौर्य और प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत के नाम भी सामने आए हैं।

...क्या महिला पर दांव खेलेगी बीजेपी?

बीजेपी को हमेशा से चौकाने वाले निर्णयों के लिए जाना जाता है। इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव नजदीक होने के नाते इस बार पार्टी नेतृत्व किसी महिला को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है। बता दें कि इस समय केवल मणिपुर में शारदा देवी ही भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष। बाकी किसी उत्तर भारत या किसी भी हिन्दी भाषी राज्य में महिला प्रदेश अध्यक्ष नहीं हैं।

क्यों बीजेपी महिला दांव खेलेगी?

जानकार बताते हैं कि जिस हिसाब से बीजेपी ने बिहार में महिला वोटर के बल पर चुनाव जीता है, ये सीधा उदाहरण है कि भाजपा 2027 में भी महिला कार्ड खेलकर यूपी विधानसभा चुनाव में जीत हांसिल करेगी।

क्या 15 जनवरी के बाद अध्यक्ष की होगी नियुक्ति?

भाजपा के एक पदाधिकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करते समय धर्म, अध्यात्म और शुभ तिथि जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखता है। इसी कारण, अगर 14 दिसंबर तक नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया, तो फैसला आगे बढ़ जाएगा।

15 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक खरमास रहेगा, जिस दौरान संगठन में कोई शुभ कार्य या नई नियुक्ति नहीं की जाती। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा अब 15 जनवरी या उसके बाद ही होने की संभावना है।

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