अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इंडिया पर 50 फीसदी टैरिफ 27 अगस्त से लागू हो गया है। इससे इंडिया 50 फीसदी अमेरिकी टैरिफ वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है। इंडिया के अलावा सिर्फ ब्राजील पर अमेरिका ने 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। ट्रंप के टैरिफ का इंडिया के एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा। अमेरिका को गुड्स का एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों में इससे घबराहट है। इकोनॉमिस्ट्स ने इस टैरिफ से निपटने के लिए कई सुझाव दिए हैं।
टैरिफ का असर RBI की राहत पर निर्भर करेगा
एक एक्सपर्ट ने बताया कि अमेरिका को होने वाले एक्सपोर्ट की इंडिया की जीडीपी में सिर्फ 2.3 फीसदी हिस्सेदारी है। दूसरा, 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ का अलग-अलग सेक्टर पर अलग-अलग तरह से असर पड़ेगा। टैरिफ का ग्रोथ पर पड़ने वाला असर काफी हद तक केंद्रीय बैंक के राहत के उपायों पर निर्भर करेगा। आरबीआई क्रेडिट और लिक्विडिटी के मामले में राहत दे सकता है।
सरकार नए बाजारों की कर सकती है तलाश
डीबीएस बैंक की इकोनॉमिस्ट राधिका राव ने रायटर्स को बताया, "सरकार नए बाजारों की तलाश कर सकती है। बहुपक्षीय समझौते के जरिए ट्रेड और इनवेस्टमेंट को बढ़ाने के कदम उठाए जा सकते हैं। इस बीच, आगे अमेरिका के साथ बातचीत दोबारा शुरू होने का विकल्प खुला है। सरकार को कारोबार को बढ़ावा देने वाली स्ट्रेटेजी अपनाने की जरूरत है। सरकार संरक्षणवादी स्ट्रेटेजी से दूर रहना होगा।"
अमेरिका को होने वाले 70 फीसदी एक्सपोर्ट पर खतरा
इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च की एसोसिएट प्रोफेसर राजेश्वरी सेनगुप्ता ने कहा, "कई देशों से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स, रीजनल एग्रीमेंट्स, टैरिफ में कमी और नॉन-टैरिफ बैरियर्स हटाने से ट्रेड को बढ़ावा मिलेगा और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ेगा।" बार्कलेज ने कहा है कि अमेरिका अच्छे दोस्त से खराब ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है। इस बदलाव में काफी समय लगा है। ऐसा लगता है कि अमेरिका को इंडिया से होने वाले 70 फीसदी एक्सपोर्ट के लिए खतरा पैदा हो गया है। इससे ग्रोथ में कमी आ सकती है।
20 लाख नौकरियों पर पड़ सकता है असर
आनंद राठी ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर सुजान हाजरा ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से शॉर्ट टर्म में 20 लाख नौकरियों पर खतरा दिख रहा है। लेकिन, मसले को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने पर यह ज्यादा डरावन नहीं लगता। इंडिया का एक्सपोर्ट बेस डायवर्सिफायड है। इनफ्लेशन आउटलुक पॉजिटिव है। घरेलू मांग स्ट्रॉन्ग है, जिससे यूएस टैरिफ का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। निर्मल बांग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा है कि इंडिया अमेरिका से ज्यादा ऑयल और हथियार खरीदने के लिए तैयार हो सकता है।