बूथ स्तर के अधिकारियों (BLO) के एक वर्ग ने पूरी रात पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के अंदर बिताई और तब तक वहां से जाने से इनकार कर दिया, जब तक कि CEO मनोज कुमार अग्रवाल उनसे मुलाकात नहीं करते और उनकी मांगों को स्वीकार नहीं कर लेते। वे राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान ‘बहुत ज्यादा वर्क लोड’ को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, उनमें से कई लोग सोमवार शाम से ही वहां प्रदर्शन कर रहे हैं और उत्तरी कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से शहर के मध्य भाग में बीबीडी बाग तक मार्च के बाद शुरू हुआ गतिरोध जारी है, जहां मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) का कार्यालय स्थित है।
नई बनी बीएलओ अधिकार रक्षा समिति के सदस्यों की तरफ से रात भर चला धरना सोमवार दोपहर को शुरू हुआ और मंगलवार सुबह तक चला। प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक अग्रवाल व्यक्तिगत रूप से उनसे मुलाकात नहीं करते, तब तक वे नहीं हटेंगे।
लंबे गतिरोध के बाद पुलिस ने 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को अपना ज्ञापन सौंपने के लिए कार्यालय में प्रवेश की अनुमति दे दी, जिससे कुछ देर के लिए तनाव कम हुआ। लेकिन इसके तुरंत बाद फिर से अशांति फैल गई।
शाम करीब साढ़े चार बजे ज्ञापन सौंपे जाने से ठीक पहले कई समिति सदस्य CEO के कक्ष के बाहर बैठ गए और मांग करने लगे कि अग्रवाल खुद ज्ञापन स्वीकार करें। इसके बाद नारेबाजी शुरू हो गई और इमारत की तीसरी मंजिल पर कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई।
जैसे ही पुलिस कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को केबिन एरिया से बाहर निकाला, DCP (सेंट्रल) इंदिरा मुखोपाध्याय मौके पर पहुंचीं। जल्द ही प्रदर्शनकारी कार्यालय के अंदर फिर से इकट्ठा हो गए और अपना धरना शुरू कर दिया।
रात तक सात सदस्य परिसर के अंदर ही रहे, जिनमें संयोजक मोइदुल इस्लाम भी शामिल थे, जो एक स्कूल शिक्षक हैं, लेकिन बीएलओ नहीं हैं।
सोमवार को अग्रवाल ने पत्रकारों से कहा कि हर प्रतिनिधिमंडल से मिलना उनके लिए ‘‘संभव नहीं’’ है और इस उद्देश्य के लिए दो उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी उपलब्ध हैं। समिति ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
अग्रवाल रात करीब 11.40 बजे पुलिस सुरक्षा में दफ्तर से बाहर निकले और टकराव पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन प्रदर्शनकारी अड़े रहे। शॉल ओढ़े और जमीन पर बैठे वे पूरी रात कार्यालय के अंदर ही डटे रहे। मंगलवार सुबह भी स्थिति जस की तस बनी रही।