Tamannaah Bhatia: हम भारतीयों के लिए दोपहर के खाने का मतलब है कुछ ऐसा खाना जो सेहतमंद, आरामदायक और जाना-पहचाना हो। इसमें रोटी, एक कटोरा सब्जी, थोड़े से चावल भी शामिल हों। लेकिन तमन्ना भाटिया के फिटनेस ट्रेनर सिद्धार्थ सिंह ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर इसे न सिर्फ मिथ कहा है, बल्कि सेहतमंद लगने वाली इस प्लेट को कम बैलेंस्ड भी करार दिया है। सिद्धार्थ तमन्ना के अलावा कंगना रनौत के भी फिटनेस ट्रेनर रह चुके हैं।
उन्होंने हाल ही में अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया कि ज्यादातर भारतीय खाना अनजाने में "कार्ब्स के ऊपर कार्ब्स" कॉम्बो होता है। इससे प्रोटीन, फाइबर या जरूरी न्यूट्रिएंट्स के लिए बहुत कम जगह बचती है जो शरीर को एनर्जेटिक रखते हैं। अपनी पोस्ट में उन्होंने बताया कि हमारी प्लेटें अक्सर कार्बोहाइड्रेट की तरफ ज्यादा झुकी होती हैं। इसमें कुछ छोटे बदलाव एक आम खाने को पौष्टिक बना सकते हैं।
रोज की 'रोटी-सब्जी’ पर फिर से सोचें
सिद्धार्थ का कहना है कि चपाती मुख्य खाना है, लेकिन एक सीमा से अधिक खाने ब्लड शुगर का स्तर खराब हो सकता है। एक आम भारतीय थाली में ज्यादातर एक बार में पांच या उससे अधिक रोटियां होती हैं। ज्यादा चपाती वजन संभालना मुश्किल कर सकती है। सिद्धार्थ एक बार में एक या दो ही रोटी खाने की सलाह देते हैं।
जब सब्जियां भी कार्ब का भार बढ़ाती हैं
खाने में शामिल करें एक कटोरा सलाद
खाने को बेहतर बनाने का सबसे आसान तरीका है एक छोटी कटोरी सलाद शामिल करना। कच्ची सब्जियां खाने में फाइबर और रफेज जोड़ती हैं पाचन में मदद करती हैं। इससे ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती और विटामिन भी मिलता है।
सिद्धार्थ सिंह ने पोस्ट में बताया है, "यहां प्रोटीन की कमी है।" वह ग्रीक योगर्ट जैसी आसान, हाई-प्रोटीन चीजें चुनने का सुझाव देते हैं, जो आधे कप में लगभग 20 ग्राम प्रोटीन देती है। दूसरे ऑप्शन पसंद करने वालों के लिए पनीर भी अच्छा काम करता है।
एक छोटा सा बदलाव जिसका बड़ा असर
सिद्धार्थ अधिक पौष्टिक और बैलेंस्ड प्लेट में रोटी और कार्ब वाली सब्जियों के हिस्से को कम करके, फाइबर और प्रोटीन बढ़ाने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, "यह छोटा सा बदलाव आपकी फिटनेस जर्नी में बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।" सिद्धार्थ हमें याद दिलाते हैं कि स्मार्ट खाना उतना ही जरूरी है जितना कि रेगुलर ट्रेनिंग।