दीपावली पांच दिन का दीपोत्सव होता है। इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। इसका समापन भाई दूज के दिन होता है। दीपावली का पांच दिवसीय पर्व बेहद नजदीक आ गया है। ऐसे में त्योहार की तैयारियों के लिए कम वक्त बचा है। हिंदू धर्म में दीपावली के पर्व का खास महत्व है। इस त्यौहार को लेकर लोग काफी उत्साहित भी होते हैं। ऐसे में पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए कुछ खास तैयारियां पहले से कर लेनी चाहिए। इसे रोशनी का त्योहार कहा जाता है। इस बार दीपोत्सव 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य, पर्व और पूजा अनुष्ठान को शुभ मुहूर्त के अनुसार किया जाता है।
दिवाली, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। यह संस्कृत शब्द "दीप" से आया है। जिसका मतलब प्रकाश है। वहीं अवली का एक श्रृंखला से है यनी कतार या पंक्ति से है। कुल मिलाकर कहने का मतलब ये हुआ कि रोशनी की पंक्ति। इसलिए से रोशनी की त्योहार भी कहते हैं। दिवाली के दिन लोग घरों पर दीये, मोमबत्तियाँ जलाते हैं। इसके साथ ही पटाखे भी फोड़े जाते हैं। आइये जानते हैं दिवाली का यह 5 दिन का उत्सव किस दिन कौन सा त्योहार मनाया जाएगा।
2024 में दिवाली की तारीखें क्या है?
2024 में दिवाली का पर्व 29 अक्टूबर, मंगलवार धनतेरस के दिन शुरू हो जाएगा। फिर अगले दिन 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली मनाई जाएगी। वहीं इस साल दिवाली की तारीख को लेकर कुछ लोग भ्रम की स्थिति में हैं। कार्तिक मास की अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने के कारण कुछ लोग दिवाली 31 अक्टूबर को मना रहे हैं। वहीं 01 नवंबर को दिवाली मनाएंगे। 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा मनाई जाएगी। फिर यह 5 दिन का उत्सव 3 नवंबर, 2024 रविवार के दिन भाई दूज के साथ खत्म हो जाएगा। दिवाली के शुभ अवसर पर लोग माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा आराधना करते हैं। ऐसे में पांच दिन के दीपोत्सव के लिए अलग-अलग दिन के हिसाब से तैयारियां करनी होती है।
धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन सोने चांदी के आभूषण और नए बर्तन खरीदने की परंपरा बरसों से चली आ रही है। धनतेरस का पर्व भगवान धनवंतरी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेरजी के साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा की जाती है। धनतेरस के शुभ अवसर पर घर में नई झाड़ू और धनिया लाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर पूरे साल धन समृद्धि बढ़ाती हैं। इसके साथ ही कृपा बरसाती हैं।
छोटी दीपावली, नरक चतुर्दशी
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को छोटी दिवाली मनाई जाती है। छोटी दिवाली इस बार 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इसे रूप चौदस और छोटी दीवाली भी कहते हैं। यह बगवान कृष्ण की राक्षस नरकासुर पर विजय का प्रतीक है। यह हमारे जीवन से बुराई और नरात्मक चीजों को दूर करता है। इस दिन दक्षिण दिशा में यम देवता के नाम का दीपक भी जलाया जाता है। साथ ही इस दिन हनुमानजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाना और चोला चढ़ाना भी बहुत शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी पूजा (बड़ी दिवाली)
दिवाली का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण दिन लक्ष्मी पूजा है। जब भक्त धन, भाग्य और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यह दिवाली का मुख्य दिन है। पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ इसे मनाया जाता है।
गोवर्द्धन पूजा दीपावली के अगले दिन होती है। इसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्द्धन पूजा 2 नवंबर को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने गोवर्द्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठाकर सभी मथुरावासियों को भीषण वर्षा से रक्षा की थी। तब से इस पर्व को गोवर्द्धन पूजा के रूप में हर साल मनाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
भाईदूज दीपावली के महा उत्सव का आखिरी दिन होता है। कार्तिक मास के शक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल भाई दूज 3 नवंबर को मनाई जाएगा। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन यमराज की यमुना ने अपने भाई को सबसे पहले तिलक किया था। तभी से हर साल इस शुभ मौके पर बहनें अपने भाइयों को टीका करती हैं और उनकी दीर्घायु की कामनी करती हैं।