कुंभ और महाकुंभ में क्या होता है अंतर? प्रयागराज के अलावा देश के किन शहरों में होता है आयोजन, जानें यहां

Prayagraj Mahakumbh: प्रयागराज में इस वर्ष महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जो हर 12 साल में एक बार होता है। हिंदू धर्म में महाकुंभ का एक विशेष महत्व है। इसमें शामिल होने देश-विदेश से काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। क्या आपने सोचा है कि कुंभ और महाकुंभ में क्या अंतर होता है, आइए जानते हैं

अपडेटेड Nov 22, 2024 पर 8:20 PM
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Mahakumbh-Kumbh: कुंभ और महाकुंभ में क्या होता है अंतर?

Know Difference Between Mahakumbh And Kumbh: कुंभ एक ऐसा धार्मिक पर्व है, जिसका इंतजार सनातन धर्म के लोग कई सालों तक करते हैं। देश के चार प्रमुख धार्मिक शहर हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक में कुंभ का आयोजन होता है। इन चारों शहरों में अर्धकुंभ, कुंभ और महाकुंभ का आयोजन होता है। कुंभ में देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। पर क्या आपको पता है कुंभ और महाकुंभ में क्या अंतर है। नहीं जानते तो आइए आपको बताते हैं।

क्या कुंभ और महाकुंभ में अंतर

बता दें कि अर्धकुंभ छह वर्ष में एक बार हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित होता है। वहीं, महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में प्रयागराज में किया जाता है। महाकुंभ का महत्व अन्य कुंभों से अधिक माना जाता है। कुंभ पर्व की तिथियों का निर्धारण ग्रहों की स्थिति के आधार पर होता है। उदाहरण के लिए, जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मेष राशि में, तब उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है। इसी तरह, कर्क राशि में सूर्य, चंद्र और बृहस्पति के प्रवेश के दौरान नासिक में कुंभ मनाया जाता है।


ये है धार्मिक मान्यता

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ का आयोजन उस कालखंड में होता है जब देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है। यह समय विशेष रूप से पवित्र माना जाता है और इसलिए इस दौरान स्नान करना मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। कुंभ के आयोजन की यह प्रक्रिया देवताओं के समय के अनुसार निर्धारित है, जो मानवीय गणना के हिसाब से 12 वर्ष का चक्र बनाती है। कुंभ, भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो निरंतर धार्मिक और सांस्कृतिक धारा का अद्वितीय प्रतीक बना हुआ है।

इस बार प्रयागराज में हो रहा आयोजन

प्रत्येक 12 वर्ष में पूर्णकुंभ का आयोजन होता है। मान लीज‍िए क‍ि उज्जैन में कुंभ का आयोजन हो रहा है, तो उसके बाद अब तीन वर्ष बाद हरिद्वार, फिर अगले तीन वर्ष बाद प्रयागराज और फिर अगले तीन वर्ष बाद नासिक में कुंभ का आयोजन होगा। उसके तीन वर्ष बाद फिर से उज्जैन में कुंभ का आयोजन होगा। इसी तरह जब हरिद्वार, नासिक या प्रयागराज में 12 वर्ष बाद कुंभ का आयोजन होगा तो उसे पूर्णकुंभ कहेंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार देवताओं के बारह दिन अर्थात मनुष्यों के बारह वर्ष माने गए हैं इसीलिए पूर्णकुंभ का आयोजन भी प्रत्येक बारह वर्ष में ही होता है।

बात इस बार के महाकुंभ मेले की करें तो प्रयागराज के संगम तट पर 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इससे पहले प्रयागराज में साल 2012 में महाकुंभ का आयोजन हुआ था। इस बार कुंभ मेला मकर संक्रांति से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक चलेगा। इस दौरान मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी और माघ पूर्णिमा को भी शाही स्नान होगा।

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First Published: Nov 22, 2024 8:14 PM

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