हर हिंदू घर में सुबह-शाम पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूजा सिर्फ ईश्वर की आराधना नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने का माध्यम भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में पूजा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं? सही दिशा, उचित पूजा सामग्री और नियमों का पालन करने से न केवल पूजा सफल होती है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास भी होता है। वहीं, अगर इन नियमों की अनदेखी की जाए, तो देवी-देवताओं की कृपा बाधित हो सकती है, जिससे जीवन में आर्थिक संकट, मानसिक तनाव और नकारात्मकता बढ़ सकती है।
सही विधि से पूजा करने से न केवल घर का वातावरण पवित्र होता है, बल्कि व्यक्ति की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं, वास्तु शास्त्र में बताए गए कुछ खास नियम जो पूजा को अधिक प्रभावी और फलदायी बनाते हैं।
सही तरीके से करें जल का उपयोग
पूजा के दौरान चांदी या तांबे के बर्तन में जल रखना शुभ माना जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद इस जल का पूरे घर में छिड़काव करें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में धन-धान्य की बरकत बनी रहती है।
पूजा के लिए सही वस्त्र का चयन
पूजा के समय केवल लाल, पीले या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। इन रंगों को देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। गलत रंगों का चुनाव पूजा के प्रभाव को कम कर सकता है।
पूजा के दौरान दिशा का रखें ध्यान
पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि इसे भगवान की दिशा माना जाता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और पूजा अधिक प्रभावी होती है।
पूजा के समय घी का दीपक हमेशा दाईं ओर और जल का पात्र बाईं ओर रखें। ये नियम ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने में मदद करता है और पूजा को सफल बनाता है।
पूजा स्थल के स्थान का ध्यान रखें
घर में पूजा स्थल बनाते समय ध्यान रखें कि उसके आसपास या ऊपर शौचालय न हो। यह अशुभ माना जाता है और नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
अगर वास्तु शास्त्र में बताए गए इन नियमों का पालन किया जाए, तो देवी-देवताओं की कृपा से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।