इस साल सरस्वती पूजा की तारीख को लेकर काफी उलझन है। लोग कन्फ्यूज हैं कि पूजा 2 फरवरी को होगी या 3 फरवरी को। कुछ पंचांगों के अनुसार, 2 फरवरी को ही माघ शुक्ल पंचमी तिथि शुरू हो रही है, जबकि अधिकतर प्रमुख पंचांग जैसे हृषिकेश पंचांग और वैदेही पंचांग मानते हैं कि 3 फरवरी को ही पंचमी तिथि सही होगी। इस कारण, कई लोग 2 फरवरी को पूजा करने की सोच रहे हैं, जबकि दूसरों का कहना है कि 3 फरवरी को ही यह शास्त्र सम्मत होगा, क्योंकि इस दिन उदया तिथि प्राप्त होती है।
खास बात यह है कि 3 फरवरी को ही कुंभ मेला का तीसरा और आखिरी शाही स्नान होगा, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। अब सवाल यह है कि, कौन सा दिन सही है? आइए, इस भ्रम को सुलझाते हैं।
क्यों है तारीख को लेकर कंफ्यूजन?
2 फरवरी या 3 फरवरी, यह सवाल हर किसी के मन में है। इसका कारण है पंचांगों का अंतर। कुछ पंचांग 2 फरवरी को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा बता रहे हैं, जबकि अन्य प्रमुख पंचांग 3 फरवरी को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा मानते हैं।
अधिकांश प्रमुख पंचांग जैसे हृषिकेश पंचांग, वैदेही पंचांग और दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का पंचांग मानते हैं कि 2 फरवरी को माघ शुक्ल पंचमी तिथि नहीं है। इन पंचांगों के अनुसार, पंचमी तिथि 2 फरवरी को 12:45 बजे शुरू होकर 3 फरवरी को 11:48 बजे समाप्त होती है। इस हिसाब से, 3 फरवरी को शास्त्र सम्मत तरीके से सरस्वती पूजा किया जाना चाहिए, क्योंकि इस दिन उदया तिथि प्राप्त होगी, जो पूजा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इसी कारण से, 3 फरवरी को कुंभ का तीसरा और अंतिम शाही स्नान भी होगा, जिससे इस दिन की महिमा और भी बढ़ जाती है।
पंचांग दिवाकर के अनुसार, 2 फरवरी को सुबह 9:15 बजे से पंचमी तिथि शुरू हो रही है, जो 3 फरवरी को सुबह 6:53 बजे समाप्त होती है। इस पंचांग के अनुसार, 2 फरवरी को ही सरस्वती पूजा का मुहूर्त है।