हर साल नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्य पूजन किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही साधक को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं। वहीं शारदीय नवरात्रि का पर्व अब समाप्ति की ओर है। ऐसे में अष्टमी-नवमी पर कन्या पूजन किया जाएगा। हालांकि इस बार तिथि को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है। ज्योतिष के अनुसार, इस साल सप्तमी और अष्टमी एक ही दिन 10 अक्टूबर को पड़ रही हैं। शास्त्रों में सप्तमी के साथ अष्टमी को मनाने पर रोक लगाई गई है। लिहाजा अष्टमी पर महागौरी की पूजा और कन्या पूजन दोनों आज (11 अक्टूबर, शुक्रवार) ही किए जाएंगे।
इसी दिन महानवमी का कन्या पूजन और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर को दोपहर 12.31 बजे से हो गई थी। जिसका समापन 11 अक्टूबर को दोपहर 12.06 बजे होगा। अष्टमी तिथि के खत्म होते ही नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। जिसका समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10:57 बजे होगा। इसलिए 11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी का पूजन किया जाएगा।
अष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग की मानें तो इस बार अष्टमी और नवमी के दिन पूजा के लिए बेहद शुभ मुहूर्त पड़ रहा है। पूजा का मुहूर्त सुबह 6.20 बजे शुरू होगा। यह 7.47 बजे तक रहेगा। वहीं इस बार पूजा के 2 शुभ मुहूर्त निकल रहे हैं। पहला मुहूर्त उन्नती मुहूर्त है। इसकी शुरुआत 7.47 बजे से होगी। यह 9.14 बजे तक रहेगा। वहीं अमृत मुहूर्त की बात करें तो इसकी शुरुआत सुबह 9.14 बजे होगा। 10.41 बजे खत्म होगा। कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह से लेकर सुबह 10:41 बजे तक है। 11 अक्टूबर 2024 को राहु काल सुबह 10:41 बजे से दोपहर 12:08 बजे तक रहेगा। इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
अष्टमी के दिन ही कन्या पूजन भी किया जाता है। महा अष्टमी और महा नवमी के दिन कुंवारी 9 कन्याओं को भोजन कराने से माता रानी की कृपा प्राप्त होती है। अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन के बगैर नवरात्रि की तपस्या अधूरी होती है। अष्टमी-नवमी से एक दिन पहले कन्याओं को घर आने के लिए आमंत्रित करें। फूलों की वर्षा कर इनका स्वागत करें। एक थाल में इनके पैर धुलाएं और आशीर्वाद लें। कन्याओं के साथ एक बटुक को बैठाना न भूलें। इन्हें हलवा, चना और पूरी का भोजन कराएं। आखिर में दान-दक्षिणा देकर इनका आशीर्वाद लें।