बजट से पहले चर्चा के दौरान एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन (E&P) से जुड़ी ऑयल एंड गैस कंपनियों ने पुराने ऑयल ब्लॉक पर टैक्स में कटौती की मांग की है। इसके अलावा, इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी में छूट का दायरा भी बढ़ाने की मांग की गई है। एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, इन मांगों का मकसद ऑयल के घरेलू प्रोडक्शन और कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ाना है।
एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन कंपनियों ने फाइनेंस और पेट्रोलियम मिनिस्ट्री से पिछली नीतियों मसलन न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (NELP) और इससे पहले की नीतियों के तहत काम करने वाले ब्लॉक्स में भी टैक्स को मौजूदा हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) के हिसाब से तय करने अनुरोध किया है। NELP की शुरुआत 1999 में की गई थी और इसे बदलकर 2017 में HELP पॉलिसी लाई गई।
इस इंडस्ट्री से जुड़े प्रतिनिधियों ने प्रभावी टैक्स रेट को ग्लोबल स्टैंडर्ड के हिसाब से 40 पर्सेंट करने की मांग की थी। साथ ही, प्री-NELP ब्लॉक पर लगने वाले 20 पर्सेंट ऑयल इंडस्ट्री डिवेलपमेंट (OID) सेस भी वापस लेने की मांग की गई है। एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन सेक्टर की एक प्राइवेट कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ' प्री-नेल्पप रिजीम के तहत फील्ड्स से निकाले गए ऑयल एंड गैस पर प्रभावी टैक्स दर 70 पर्सेंट है। इसके उलट NELP और HELP रिजीम के तहत टैक्स 55 पर्सेंट है। इस असमानता की वजह से इनवेस्टमेंट रिकवरी सुस्त हो जाती है।'