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Explainer: ट्रंप टैरिफ को अमेरिकी अदालत ने किया खारिज; भारत को कैसे होगा फायदा, 5 प्वाइंट में समझें

India-US Trade: अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के लगाए रेसिप्रोकल टैरिफ को असंवैधानिक करार दिया है। इससे भारत को अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में मजबूती मिली है। इससे भारतीय एक्सपोर्टर्स को राहत और संभावित समझौतों में बेहतर शर्तें मिल सकती हैं। पूरी डिटेल के लिए पढ़ें यह खबर।

अपडेटेड May 29, 2025 पर 10:19 PM
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अमेरिकी अदालत ने व्हाइट हाउस को 10 दिनों के भीतर टैरिफ समाप्त करने की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है।

India-US Trade: अमेरिका की एक संघीय अदालत ने ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ को खारिज कर दिया है, जिसका ऐलान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया था। इसके तहत ट्रंप ने दुनियाभर के तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की बात कही थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप ने अपने कार्यकारी अधिकारों की सीमा लांघी है और यह कदम संविधान सम्मत नहीं था।

यह फैसला न केवल ट्रंप प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति रेसिप्रोकल टैरिफ का इस्तेमाल दूसरे देशों पर लगातार दबाव बनाने के लिए कर रहे थे। हालांकि, यह भारत जैसे देशों के लिए व्यापारिक नजरिए से राहत की खबर है।

अमेरिकी अदालत के फैसले से भारत को कैसे फायदा होगा, यह 5 प्वाइंट में समझेंगे। लेकिन, उससे पहले यह जान लेते हैं कि अदालत ने क्या ऑर्डर दिया


व्हाइट हाउस ने अदालती फैसले को चुनौती दी

अमेरिकी कोर्ट ने आदेश देते हुए व्हाइट हाउस को 10 दिनों के भीतर टैरिफ समाप्त करने की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। वहीं, ट्रंप प्रशासन के वकीलों ने इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है।

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह फैसला करना अनिर्वाचित करना न्यायाधीशों का काम नहीं है कि राष्ट्रीय आपातकाल से कैसे उचित तरीके से निपटा जाए। ट्रंप प्रशासन अमेरिकी हितों की रक्षा और अमेरिका को दोबारा महान बनाने के लिए कार्यकारी शक्तियों का हर मुमकिन इस्तेमाल करेगा।”

अमेरिकी अदालत के फैसले से भारत को फायदा होगा?

अमेरिकी अदालत के फैसले का भारत पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। भारत और अमेरिका के बीच 5-6 जून को नई दिल्ली में अंतरिम व्यापार समझौते को लेकर बातचीत प्रस्तावित है। इस फैसले के बाद भारत की स्थिति इन वार्ताओं में और मजबूत हो गई है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्ष 25 जून तक एक प्रारंभिक समझौते पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप ने 2 अप्रैल को लगाए गए 26% रेसिप्रोकल टैरिफ को 9 जुलाई तक स्थगित रखा है। भारतीय उत्पादों पर अब भी अमेरिका का 10% मूल टैरिफ लागू है।

आइए अमेरिकी अदालत के फैसले से भारत को मिलने वाले संभावित लाभ को 5 प्वाइंट में समझते हैं:

  1. अमेरिकी अदालत के फैसले ने रेसिप्रोकल टैरिफ की कानूनी बुनियाद को कमजोर कर दिया है, जो अब तक अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक बातचीत में एक बड़ा दबाव बने हुए थे। अब 26% टैरिफ का खतरा खत्म हो गया है, तो भारत को व्यापारिक शर्तों पर ज्यादा खुलकर बातचीत करने का मौका मिल गया है।
  2. इस महीने की शुरुआत में भारत ने ब्रिटेन के साथ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) साइन किया है। इससे अब भारत की छवि एक भरोसेमंद आर्थिक साझेदार के तौर पर और मजबूत हुई है। इसका फायदा भारत को अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते में भी मिल सकता है।
  3. टैरिफ का ये खतरा खत्म होना खास तौर पर उन भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए अच्छा संकेत है, जो फार्मा, टेक्सटाइल और आईटी जैसे सेक्टर्स में काम कर रहे हैं और जिनकी अमेरिकी बाजार पर निर्भरता अधिक है। अब जब टैरिफ के कारण लागत बढ़ने का डर नहीं रहेगा, तो भारतीय प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की प्रतिस्पर्धा अमेरिका में और बेहतर हो सकेगी।
  4. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने भारत को सुझाव दिया है कि इस फैसले के बाद अमेरिका के साथ किसी भी नए व्यापार समझौते को सोच-समझकर और कानूनी मजबूती के साथ आगे बढ़ाया जाए। क्योंकि अब अदालत ने ट्रंप के टैरिफ को अवैध ठहराया है, तो भारत को यह ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य के सभी समझौते आपसी सम्मान और पारदर्शिता पर आधारित हों, न कि दबाव में लिए गए हों।
  5. अदालत के इस फैसले से एक अहम कानूनी मिसाल भी बनी है – अब अमेरिका में राष्ट्रपति एकतरफा टैरिफ नहीं लगा सकेंगे, जब तक कि उसे कांग्रेस की मंजूरी न हो। इससे भारत के लिए अमेरिका के साथ व्यापार करना थोड़ा और स्थिर और भरोसेमंद बन जाएगा, क्योंकि अचानक भारी टैरिफ थोपे जाने का खतरा अब काफी हद तक कम हो गया है।

क्या अदालती फैसले से ट्रेड वॉर खत्म हो जाएगा?

लंदन स्थित थिंक टैंक कैपिटल इकोनॉमिक्स ने आशंका जताई है कि यह मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है। हालांकि संस्थान ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे टैरिफ वॉर पूरी तरह खत्म नहीं होगा, क्योंकि अमेरिकी प्रशासन अन्य वैधानिक प्रावधानों या कांग्रेस की मंजूरी के जरिए नए टैरिफ लगाने की कोशिश कर सकता है।

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