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Cooking Oil Prices: खाने के तेल पर सरकार की बड़ी रणनीति, जानिए आपकी जेब पर क्या होगा असर

Cooking Oil Prices: सुधाकर देसाई ने कहा कि भारत दुनिया में खाने के तेल का सबसे बड़ा इंपोर्टर है। देश में सरसों, सोयाबीन, कॉटन की उपज काफी अच्छी है। जब भी फसलों के पैदावार में कोई मामूली बढ़ोतरी करते हैं, तो इसका एक व्यापक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल भारतीय आत्मनिर्भरता के लिए बल्कि वैश्विक बाज़ार के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। खाने के तेल का ऑर्गेनाइज सेक्टर काफी बड़ा है

अपडेटेड Jul 25, 2025 पर 1:48 PM
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देश में खाद्य महंगाई 2021 के बाद सबसे कम रहा है। खाने के तेल में 20-30% की महंगाई कायम है।

Cooking Oil Prices: खाने के तेल पर खाद्य सचिव ने बड़ा बयान जारी किया है। संजीव चोपड़ा ने कहा कि अगले हफ्ते नया ऑर्डर संभव है। 2011 के ऑर्डर की वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स, प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी (VOPPA)2025 जगह लेगा। खाद्य सचिव ने कहा कि बाजार पर सरकार की नजर बनी हुई है। कीमत, सप्लाई चेन पर नजर बनी है। राष्ट्रीय स्तर पर जांच का काम जारी है। इंडस्ट्री के साथ मिलकर काम जारी है। ड्यूटी घटने का फायदा लोगों को मिले।

VOPPA 2025 क्यों?

सरकार को मॉनिटरिंग में मदद मिलेगी। डिजिटल टूल्स के जरिए मॉनिटरिंग होगी। इंपोर्ट, उत्पादन, स्टॉक, बिक्री पर नजर होगी। इंडस्ट्री को जानकारी देना जरूरी होगा। उत्पादन, बिक्री की जानकारी देना जरुरी होगा। कीमत की भी जानकारी देना जरूरी होगा। सरकार का फोकस आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर है।


क्यों बढ़ी सरकार की परेशानी?

देश में खाद्य महंगाई 2021 के बाद सबसे कम रहा है। खाने के तेल में 20-30% की महंगाई कायम है। NAFED के पास 7 लाख टन सरसों मौजूद है। दुनिया के मुकाबले तिलहन की बुआई घटी है। सोयाबीन, सनफ्लावर, सरसों की बुआई कम रहा है।

क्या है जानकार की राय

IVPA के प्रेसिडेंट सुधाकर देसाई ने कहा कि भारत दुनिया में खाने के तेल का सबसे बड़ा इंपोर्टर है। देश में सरसों, सोयाबीन, कॉटन की उपज काफी अच्छी है। जब भी फसलों के पैदावार में कोई मामूली बढ़ोतरी करते हैं, तो इसका एक व्यापक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल भारतीय आत्मनिर्भरता के लिए बल्कि वैश्विक बाज़ार के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। खाने के तेल का ऑर्गेनाइज सेक्टर काफी बड़ा है। इंडस्ट्रीज को खाने के तेल के आंकड़ें देने में परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि नई पॉलिसी आने से सरकार को फायदा होगा। आंकड़ों में हमेशा फर्क होता है। सही आंकड़ों के पॉलिसी बनाने में आसानी होगी।

खाने के तेल की कीमतों में आए बढ़ोतरी होगी? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल से लेकर अब तक हाल ही में मई तक शुल्क प्रभावित हुए हैं। जून के महीने में कम शुल्क प्रभावित हुए। लेकिन अगर आप पिछले साल के आंकड़ों से तुलना करें, तो पिछले साल शुल्क वास्तव में 20% तक बढ़ गए हैं। इसलिए आप जिस भी महीने खाद्य तेल की कीमतों की तुलना करेंसआप पाएंगे कि कहीं न कहीं कीमतें 17 से 18% अधिक हैं।

लेकिन अगले महीने से खाने के तेलों की कीमतों में गिरावट आएगी। सरसों तेल की कीमतों में सबसे ज्यादा तेजी आई है। जनवरी से अब तक इंपोर्ट में 7-8 फीसदी की गिरावट आई है। आनेवाले 6 महीनों में कंज्मशन में सुधार होता नजर आएगा

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