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मंदी की आहट से पिछले हफ्ते तेल की कीमतों में रही 1.5% की गिरावट

ब्रेंट क्रूड वायदा में 13 सेंट की तेजी रही और 96.72 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 27 सेंट चढ़कर 90.77 डॉलर पर बंद हुआ

अपडेटेड Aug 20, 2022 पर 9:20 AM
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यूरोप की तेल कंपनियों ने अमेरिका से तेल खरीदने की वजह से अमेरिका ने पिछले हफ्ते हर दिन 50 लाख बैरल तेल का निर्यात किया जिसके कारण इसके स्टॉक में कमी आई

तेल की कीमतें शुक्रवार को स्थिर रहीं। लेकिन हफ्ते भर के आंकड़ें पर नजर डालें तो मजबूत अमेरिकी डॉलर के चलते पिछले हफ्ते इसमें गिरावट रही। बाजार में इस बात का डर है कि आर्थिक मंदी से कच्चे तेल की मांग में कमजोरी आएगी।

ब्रेंट क्रूड वायदा 13 सेंट की तेजी के साथ 96.72 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 27 सेंट बढ़कर 90.77 डॉलर पर बंद हुआ। दोनों बेंचमार्क पिछले हफ्ते में करीब 1.5 प्रतिशत गिरे।

रिचमंड फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष थॉमस बार्किन (Richmond Federal Reserve President Thomas Barkin) द्वारा की गई टिप्पणियों पर वोलैटाइल ट्रेड तेल के भाव उछाल आया। बार्किन ने कहा कि फेड अर्थव्यवस्था पर किसी भी प्रकार के प्रभाव पर अनिश्चितता के साथ अपनी रेट हाइक को संतुलित करेगा। लेकिन क्रूड में बढ़त कम हुई क्योंकि रेट्स में आगे होने वाली बढ़ोतरी के बारे में निवेशकों की चिंता बनी रही।


अमेरिकी डॉलर में मजबूती पांच हफ्ते के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इसने कच्चे तेल में आये उछाल को भी सीमित कर दिया क्योंकि यह अन्य मुद्राओं में तेल खरीदना महंगा हो गया।

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ऑयल ट्रेडिंग एडवाइजरी फर्म रिटरबश एंड एसोसिएट्स (Ritterbusch and Associates) के जिम रिटरबश (Jim Ritterbusch) ने कहा, "हालांकि ऑयल कॉम्प्लेक्स किसी भी सत्र में एक मजबूत डॉलर को कमजोर करने में सक्षम रहा है। लेकिन मजबूत डॉलर के रुझान तेल की कीमतों में स्थायी बढ़त के खिलाफ प्रमुख रूप से अड़चन पैदा करेंगे।"

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन के नए महासचिव हैथम अल घैस (Haitham Al Ghais) ने रॉयटर्स को बताया कि वह 2023 में तेल की मांग के बारे में आशावादी रहे हैं।

Al Ghais ने 5 सितंबर की बैठक से पहले कहा था कि OPEC यह सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है कि रूस OPEC + समूह का हिस्सा बना रहे।

आंकड़ों के मुताबिक इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी कच्चे तेल के स्टॉक में तेजी से गिरावट आई है। इसकी वजह ये रही कि इन्होंने पिछले हफ्ते प्रति दिन रिकॉर्ड 50 लाख बैरल तेल का निर्यात किया था। यूरोप की तेल कंपनियों रूसी कच्चे तेल की जगह अमेरिका से तेल खरीदना जारी रखा जिसके उसके स्टॉक में कमी आई।

 

 

 

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