पेट्रोल के अंदर एथेनॉल ब्लेंडिंग को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता के पीछे एक बड़ी लॉबी काम कर रही है। सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद इसे मंजूरी दी है। इस पर ज्यादा जानकारी देते हुए सीएनबीसी -आवाज़ के संवाददाता असीम मनचंदा ने कहा कि एथेनॉल ब्लेंडिंग को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी गई है। सरकार ने कहा है कि याचिकाकर्ता के पीछे एक बड़ी लॉबी है। सरकार ने सभी पहलुओं पर विचार किया है।
SC में एथेनॉल ब्लेंडिंग पर जनहित याचिका दायर हुई थी। याचिका में कहा गया था कि इससे माइलेज कम हो रहा है। सरकार को एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल के लिए अलग प्रावधान करना चाहिए। इस याचिका के साथ ही यह भी साफ हो गया है कि देशवासियों को इथेनॉल फ्री पेट्रोल का विकल्प नहीं मिलेगा। देश में इन दिनों इथेनॉल का मुद्दा गर्म है।
इस याचिका में कहा गया था कि देशवासियों को इथेनॉल फ्री पेट्रोल का विकल्प भी मिलना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और के विनोद चंद्रन ने पूरे मामले की सुनवाई की और सरकार की तरफ से भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि का पक्ष सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी।
इस मामले में भारत के अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणि ने कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ एक नाम है। उसके पीछे बड़ी लॉबी काम कर रही है। सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह नीति बनाई थी। इससे गन्ना व्यापारियों को फायदा हो रहा है। देश के बाहर बैठे लोग यह नहीं तय कर सकते कि देश में कैसा पेट्रोल मिलेगा। इसके बाद सीजेआई ने याचिका खारिज कर दी।
बताते चलें कि भारत में पेट्रोल में 20 फीसदी तक इथेनॉल मिलाया जाता है। इससे गन्ना किसानों को फायदा मिलता है और उनका गन्ना ऊंची कीमत में बिकता है। हालांकि, इसका असर वाहनों के माइलेज पर पड़ता है। कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से वाहनों का माइलेज कम होता है और कई वाहनों में गड़बड़ी भी आती है। हालांकि, सरकार ने इन रिपोर्ट का खंडन किया है।