Rupee Vs Doller: डॉलर के मुकाबले रुपया 6 महीने के निचले स्तर के करीब, जानें गिरावट की क्या रही वजह
Rupee Vs Doller: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 29 पैसे गिरकर 87.95 पर खुला, जो 6 महीने के निचले स्तर और 88 के संवेदनशील स्तर के करीब पहुंच गया। मुद्रा व्यापारियों ने इस तेज़ गिरावट के पीछे जियोपॉलिटिकल टेंशन, कैपिटल आउटफ्लो और पॉलिसी एंटीसिपेशन को कारण बताया।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार (4 अगस्त) को शुरू हुई, जिसके नतीजे बुधवार (6 अगस्त) को घोषित होंगे।
Rupee Vs Dollar: मंगलवार (5 अगस्त) को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 29 पैसे गिरकर 87.95 पर खुला, जो 6 महीने के निचले स्तर और 88 के संवेदनशील स्तर के करीब पहुंच गया। मुद्रा व्यापारियों ने इस तेज़ गिरावट के पीछे जियोपॉलिटिकल टेंशन, कैपिटल आउटफ्लो और पॉलिसी एंटीसिपेशन को कारण बताया। तनाव तब बढ़ गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की निरंतर खरीद का हवाला देते हुए भारतीय निर्यात पर टैरिफ में "काफी" बढ़ोतरी करने की धमकी दी।
ट्रंप के हालिया कार्यकारी आदेश ने 5 दर्जन से ज़्यादा देशों के लिए टैरिफ बढ़ा दिए हैं, जिनमें से 25% की बढ़ोतरी भारत को लक्षित करते हुए की गई है। विदेशी मुद्रा बाज़ार ने तेज़ी से प्रतिक्रिया दी और रुपया सोमवार (4 अगस्त) के 87.66 के बंद स्तर से गिर गया।
सोमवार (4 अगस्त) को यह पहले ही 48 पैसे कमज़ोर हो चुका था। व्यापारियों का मानना है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मंगलवार (5 अगस्त) की सुबह 88 प्रति डॉलर की सीमा को पार करने से रोकने के लिए हस्तक्षेप किया होगा।
इस कारण बढ़ा दबाव
मुद्रा व्यापारियों ने इस तेज़ गिरावट के पीछे जियोपॉलिटिकल टेंशन, कैपिटल आउटफ्लो और पॉलिसी एंटीसिपेशन को कारण बताया। तनाव तब बढ़ गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की निरंतर खरीद का हवाला देते हुए भारतीय निर्यात पर टैरिफ में "काफी" बढ़ोतरी करने की धमकी दी।
आरबीआई ने थामीं कमान
एक निजी बैंक के FX trader ने कहा, "शुरुआत में ऐसा लग रहा था कि यह 88 के सीधे ब्रेक की ओर जाएगा, लेकिन आरबीआई ने हस्तक्षेप किया और इस बदलाव को रोक दिया।"
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भी भारतीय बाजारों से पैसा निकालना जारी रखा और सोमवार (4 अगस्त) को ₹2,566 करोड़ मूल्य के शेयर बेचे। व्यापक बाजार सतर्कता के बीच बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में लगभग 0.25% की गिरावट आई।
आरबीआई की मौद्रिक नीति का इंतजार
इस बीच, रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार (4 अगस्त) को शुरू हुई, जिसके नतीजे बुधवार (6 अगस्त) को घोषित होंगे। निवेशक ब्याज दरों के रुख में किसी भी बदलाव या मुद्रास्फीति व विकास पर किसी भी टिप्पणी पर कड़ी नज़र रख रहे हैं। बाजार अब आरबीआई की मौद्रिक नीति का इंतजार कर रहे हैं, जिससे अस्थिरता बढ़ने की आशंका है।
शॉर्ट टर्म रुपया 87.25 से 88.00 के दायरे में संभव
एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एनालिस्ट - कमोडिटी एंड करेंसी, जतिन त्रिवेदी ने कहा, "निकट भविष्य में रुपया 87.25 से 88.00 के दायरे में कारोबार कर सकता है।"
अनिश्चितता को और बढ़ाते हुए, ओपेक+ द्वारा सितंबर में उत्पादन बढ़ाने की योजना की घोषणा के बाद ब्रेंट वायदा के 68.57 डॉलर प्रति बैरल पर गिरने से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई।
डॉलर सूचकांक जो 6 प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के प्रदर्शन को दर्शाता है, मामूली रूप से बढ़कर 98.81 पर पहुँच गया।
कुछ जानकारों का मानना है कि आर्थिक मंदी और नीतिगत अनिश्चितता के संकेतों के बीच अमेरिकी डॉलर को मध्यम अवधि में दबाव का सामना करना पड़ सकता है। हालाँकि, बाहरी राजनीतिक हलचल और फंड फ्लो की गतिशीलता के कारण रुपये में निकट भविष्य में अस्थिरता बनी रहने की उम्मीद है।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, "भारतीय रुपया दबाव में देखा गया और इस हफ्ते भी दबाव में रहने की संभावना है। ट्रंप ने कहा कि वह रूसी तेल खरीदना जारी रखने पर भारत पर ज़्यादा टैरिफ़ लगाने की घोषणा कर सकते हैं। व्यापार वार्ता जारी रहने के बावजूद ट्रंप द्वारा सभी भारतीय निर्यातों पर 25% टैरिफ़ लगाने की घोषणा के बाद एफपीआई की ओर से भी लगातार दबाव बना हुआ है।"