Silver Import: केंद्र सरकार ने ज्वेलरी इंपोर्ट पॉलिसी में बदलाव किया। केंद्र सरकार ने प्लेन सिल्वर ज्वेलरी के आयात पर 31 मार्च 2026 तक प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें कि ITC(HS) 2022 के तहत पॉलिसी बदली है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि अब तक इस श्रेणी का आयात “फ्री” था, लेकिन अब इसे “रिस्ट्रिक्टेड” कर दिया गया है यानी अब ऐसे सामान को भारत में लाने के लिए सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
सरकार का यह फैसला बिना जड़ाऊ, दूसरे गहनों पर पॉलिसी लागू होगा। खास HS कोड के गहनों के लिए बदलाव किए। पॉलिसी में बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
दरअसल, पिछले कुछ महीनों में प्लेन सिल्वर ज्वेलरी के नाम पर बड़े पैमाने पर आयात बढ़ा है। जांच में पाया गया कि कई देशों से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) का फायदा उठाकर टैक्स बचाने के लिए तैयार या डिजाइन वाली ज्वेलरी को “प्लेन” कैटेगरी बताकर भारत में लाया जा रहा था। इससे घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंच रहा था।
सरकार के इस फैसले का 925 चांदी की ज्वेलरी इंपोर्ट पर असर संभव है। थाईलैंड से इंपोर्ट पर सबसे ज्यादा असर संभव है। ASEAN FTA के तहत इंपोर्ट हो रहा था। चांदी के फैशन ज्वेलरी इंपोर्टर्स पर असर संभव है। अब DGFT से पहले लाइसेंस लेना जरूरी होगा।
इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मेटल्स फोकस के प्रिंसिपल कंसल्टेंट चिराग शेठ ने कहा कि सरकार के एक्सपोर्ट बैन के फैसला का असर चांदी पर पड़ेगा। थाईलैंड से भारत चांदी के गहने बड़ी मात्रा में इंपोर्ट करता है। 80% चांदी के प्लेन गहने थाईलैंड से होते हैं। दूसरे देशों 20 फीसदी चांदी के गहनों का इंपोर्ट होता है। भारत सालाना 200-300 टन चांदी का इंपोर्ट करता है। इस साल अगस्त में ही 100 टन और जनवरी से अब तक 300 टन चांदी का इंपोर्ट हुआ।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले 2-3 सालों में भारत ने चांदी इंपोर्ट के मामले में अमेरिका को पछाड़ा है। इंपोर्ट के लिए अब सरकार से लाइसेंस लेना जरुरी होगा। चिराग शेठ ने आगे कहा कि फैसले की मियाद खत्म होने के बाद भी बैन लागू रहने की आशंका है।