कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus epidemic) के बीच केंद्र सरकार (Central Government) ने लोन लेने वालों को बड़ी राहत दी है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि वह मोरेटोरियम (Loan Moratorium Case) अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार हो गई है। लोगों को ये राहत दो करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है। यह ब्याज माफी एमएसएमई (MSME loans) एवं शैक्षिक, हाउसिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, पेशेवर और उपभोग द्वारा लिए गए कर्ज के लिए लागू होगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट केंद्र को कहा था कि वो विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस योजना लेकर अदालत आए। कोर्ट ने मामले को बार-बार टालने पर नाराजगी जाहिर की थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा है कि एमएसएमई कर्ज, शैक्षिक, आवास, उपभोक्ता, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, पेशेवर और उपभोग लोन पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज यानी कंपाउंडिंग इंट्रस्ट (Compounding Interest) को माफ किया जाएगा। सरकारी हलफनामे के मुताबिक 6 महीने के लोन मोरेटोरियम समय में दो करोड़ रुपये तक के लोन के ब्याज पर ब्याज की छूट देगी। केंद्र ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की स्थिति में ब्याज की छूट का भार वहन सरकार करे यही केवल समाधान है। साथ ही केंद्र ने कहा है कि उपयुक्त अनुदान के लिए संसद से अनुमति मांगी जाएगी।

बता दें कि पिछले सप्ताह 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) अवधि के दौरान कर्ज के ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पांच अक्तूबर यानी सोमवार के लिए स्थगित की थी। पिछली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है। इसलिए केंद्र को विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस योजना पेश करने को कहा गया था। मेहता ने कहा था कि वह इस मामले में RBI (Reserve Bank of India) से बातचीत कर रही है और बहुत जल्द कोई समाधान निकलेगा।

केंद्र ने पैनल की सिफारिशों के बाद ब्याज माफ नहीं करने के रुख को बदल दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को उधारकर्ताओं की मदद करने के निर्देश के बाद Ex CAG राजीव महर्षि की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया गया था। केंद्र सरकार ने कोर्ट में पहले कहा था कि वह ब्याज माफ नहीं कर सकता है और यह बैंकों को प्रभावित करेगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होनी है।

लॉकडाटउन के चलते 6 महीने का Loan Moratorium मिला था। सरकार के मुताबिक Loan Moratorium पीरियड 2 साल तक बढ़ सकती है। इस पर एक्सपर्ट कमेटी भी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है। 10 सितंबर को तुषार मेहता कोर्ट में कहा था कि ब्याज पर छूट नहीं दे सकते हैं, लेकिन भुगतान का दबाव कम कर देंगे। मेहता ने कहा था कि बैंकिंग क्षेत्र (Banking Sector) अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं लिया जा सकता।

दरअसल, इस लोन मोरेटोरियम में व्यवस्था है कि जो लोग कोरोना महामारी में अपनी EMI नहीं दे सकते हैं, उनके पास आगे के लिए अपनी EMI स्थगित करने का विकल्प होगा। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इसका कोई फायदा आम लोगों को नहीं मिल रहा है, क्योंकि जो अपने EMI स्थगित कर रहे हैं तो उन्हें इस स्थगन की अवधि का पूरा ब्याज देना पड़ रहा है।

सोशल मीडिया अपडेट्स के लिए हमें Facebook (https://www.facebook.com/moneycontrolhindi/) और Twitter (https://twitter.com/MoneycontrolH) पर फॉलो करें।