वित्त वर्ष 2020-21 की अंतिम तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) के नतीजे बेहद निराशाजनक रहे। मार्च तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा का स्टैंडअलोन नेट लॉस 1046.5 करोड़ रुपये रहा, जबकि दिसंबर तिमाही में बैंक को 1,061 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट हुआ था। इतना ही नहीं, FY20 के Q4 में भी बैंक को 506 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था।
Q4 में Bank of Baroda का नेट इंटरेस्ट इनकम 4% बढ़कर सालाना आधार पर 7,107 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 6,798.4 करोड़ रुपये रहा था। मार्च तिमाही में बैंक के प्रोविजंस और कंटिंजेंसीज 3,586 करोड़ रुपये रहे जो दिसंबर तिमाही में 3,434.6 करोड़ रुपये और एक साल पहले FY20 के Q4 में 6,645 करोड़ रुपये रहा था।
मार्च तिमाही में BOB का NPA बढ़ा
मार्च तिमाही में बैंक ऑफ बड़ौदा के ऐसेट क्वालिटी में और गिरावट आई और बैंक का NPA बढ़कर कुल लोन बुक के 8.87% पर पहुंच गया, जो दिसबर तिमाही में 8.48% रहा तथा। FY21 के Q4 में बैंक का नेट एनपीए (Net NPAs) बढ़कर 3.09% हो गया जो दिसंबर तिमाही में 2.39% पर था।
Bank of Baroda के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कहा कि बोर्ड ने 5000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी जुटाने की मंजूरी दी है। 2,000 करोड़ रुपये QIP जैसे मोड्स से कई चरणों में कॉमन इक्विटी कैपिटल के रूप में जुटाये जाएंगे। जबकि 3,000 करोड़ रुपये एडिशनल टियर1 कैपिटल (Additional Tier I capital) या टियर 2 कैपिटल इंस्ट्रूमेंट्स (Tier II capital instruments) के जरिये जुटाये जाएंगे।
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