संसद की होम अफेयर्स पर स्टैंडिंग कमेटी के वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) पर बैन लगाने के प्रपोजल से बहुत सी भारतीय और मल्टीनेशनल कंपनियां चिंतित हैं। कोरोना के दौरान सुरक्षित तरीके से वर्क फ्रॉम होम मॉडल को लागू करने के लिए कई कंपनियां VPN का इस्तेमाल कर रही हैं।
यह प्रपोजल सायबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए दिया गया है। हालांकि, इंटरनेट पॉलिसी एक्सपर्ट्स और सिक्योरिटी रिसर्चर्स का कहना है कि यह एक हैरान करने वाला प्रपोजल है और इसका फाइनेंशियल और मल्टीनेशनल कंपनियों की डेटा सिक्योरिटी पर बड़ा असर हो सकता है।
VPN आपकी पहचान और ब्राउजिंग एक्टिविटी को हैकर्स, बिजनेस, सरकारी एजेंसियों और जासूसी से सुरक्षित रखता है। इंटरनेट से कनेक्ट करने पर आपका डेटा और IP एड्रेस एक वर्चुअल टनल से छिप जाते हैं। इससे आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी की जासूसी नहीं की जा सकती
उन्होंने कहा कि सरकार के पास सिक्योरिटी को पक्का करने के लिए बेहतर तरीके हैं। स्टैंडिंग कमेटी किसी चीज पर सख्ती करने के लिए केवल सिक्योरिटी का कारण बता रही है। यह बैन लगने से कंपनियों के लिए सुरक्षित तरीके से बिजनेस करना मुश्किल हो जाएगा।
राज्यसभा में पिछले महीने दी गई रिपोर्ट में स्टैंडिंग कमेटी ने सुझाव दिया है कि मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर VPN की पहचान और उन्हें स्थायी तौर पर ब्लॉक करना चाहिए। इसके लिए इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद ली जा सकती है।
स्टैंडिंग कमेटी ने इंटरनेशनल एजेंसियों से भी इसे लेकर कोऑर्डिनेशन करने का सुझाव दिया है जिससे इन VPN पर स्थायी तौर पर रोक लगाई जा सके।