कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में आर्थिक मोर्चे पर अनिश्चितता और सुस्ती का माहौल है। इस बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने (Economic Recovery) के लिए केंद्र सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) के जरिये सुनहरे भविष्य की उम्मीद जताई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज लोकसभा और राज्यसभा में वर्ष 2020-21 का आर्थिक सर्वे पेश किया। इस आर्थिक सर्वेक्षण में और ज्यादा एक्टिव राजकोषीय निति (Fiscal Ploicy) अपनाने की वकालत की गई है। इसमें कहा गया है कि सरकार को आर्थिक विकास को रफ्तार देने के लिए काउंटर-साइक्लिकल (counter-cyclical ) फिस्कल पॉलिसी अपनानी चाहिए।
Economic Survey में कहा गया है कि तेज इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए सरकार का राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) की ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। बल्कि ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए सरकार को अपना खर्च और बढ़ाना चाहिए और सरकार को अपने कैपिटल एस्सपेंडिचर में बढ़ोतरी करनी चाहिए, जिससे सरकार के रेवेन्यू में अगले कुछ वर्षों में बढ़ोतरी होगी। इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार को टैक्स में कटौती करनी चाहिए, ताकि आम लोगों को पास खर्च करने के लिए अधिक पैसे हों, जिससे प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की डिमांड में बढ़ोतरी हो सके।
Fiscal Deficit के मोर्चे पर रिलैक्स रहना चाहिए
इस सर्वे में सरकार के आलोचकों के उस दावे को खारिज किया गया है कि सरकार को नेचुरल फिस्कल पॉलिसी अपनानी चाहिए और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना चाहिए। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि जब अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो या फिर इकोनॉमिक क्राइसिस की स्थिति हो तो सरकार को कर्ज (debt) और फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) के मोर्चे पर रिलैक्स रहना चाहिए। इस सर्वे में कहा गया है कि ज्यादा एक्टिव और काउंटर-साइक्लिकल फिस्कल पॉलिसी का मतलब राजकोषीय गैरजिम्मेदारी (fiscal irresponsibility) नहीं है।
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