24 अगस्त 2011
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
छतरपुर। मध्य प्रदेश में एक बार फिर मानवता तार-तार हुई है, यहां गरीबी के चलते एक बुजुर्ग के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां तक नहीं जुटाई जा सकीं तो लोगों ने झोपड़ियों की लकड़ी व वाहनों के टायरों के जरिए अंतिम संस्कार किया।
गरीबी व भुखमरी के लिए पूरी दुनिया में पहचाने वाले बुंदेलखंड की हकीकत नरपत सिंह यादव की मौत ने सामने ला दी है। नारायण बाग पहाड़ी में रहने वाले नरपत बीमार थे और उनकी मौत हो गई। उनके अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियों तक का इंतजाम नहीं हो सका।
नरपत की पत्नी सावित्री बताती है कि जब अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां नहीं मिली तो परिचित लोगों ने कुछ लकड़ियां इकट्ठी करने के साथ वाहनों के टायर जुटाए। इससे नरपत का अंतिम संस्कार किया गया। बात यहीं खत्म नहीं हुई क्योंकि टायरो से जलाया गया शव अधजला ही रह गया। आखिर में शव को दोबारा जलाया गया। यह बात नगर पालिका के अधिकारी भी स्वीकारते हैं।
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नरपत के परिचित घनश्याम का कहना है कि अंतिम संस्कार उनके लिए एक समस्या था। पैसा था नहीं जिससे लकड़ी खरीदी जा सके, लिहाजा उन लोगों को किसी तरह ज्वलनशील सामग्री का इंतजाम करना पड़ा। टायर मिले तो उससे ही काम चला लिया।
मध्य प्रदेश में मानवीय संवेदनाएं तार-तार होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले एक शव को ढोने के लिए वाहन न मिलने पर एक पिता अपनी बेटी के शव को साइकिल पर बांधकर ढोने को मजबूर हुआ था।