'अंधेरे में आता है, बच्चों को उठा ले जाता है' बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का आतंक, 9 लोगों को बना चुके शिकार
बहराइच के DFO अजीत प्रताप सिंह ने कहा, "महसी तहसील के दो दर्जन गांवों में मार्च महीने से घूम रहे आधा दर्जन भेड़ियों के हमलों से ग्रामीण खौफजदा हैं। बीते 40 दिनों में करीब तीन दर्जन बार इन भेड़ियों ने ग्रामीणों पर हमला कर पांच बच्चों को मार डाला है, जबकि 30 से ज्यादा ग्रामीण और बच्चे भेड़ियों और दूसरे जानवरों के हमलों से घायल हुए हैं
बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का आतंक, कई बच्चों समेत 9 लोगों को बना चुके शिकार
उत्तर प्रदेश के बहराइज जिले के कई गांवों में इन दिनों आदमखोर भेड़ियों का आतंक फैला है। इन भेड़ियों को आदमखोर इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि पिछले करीब दो महीनों में ये 9 लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं, जिसमें ज्यादातर बच्चे हैं। एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल भी हो गए हैं। गांव वालों में दहशत इस कदर बैठ गई है कि न तो घर में रह पा रहे हैं और न ही घर के बाहर निकाल पा रहे हैं।
बहराइच के DFO अजीत प्रताप सिंह ने कहा, "महसी तहसील के दो दर्जन गांवों में मार्च महीने से घूम रहे आधा दर्जन भेड़ियों के हमलों से ग्रामीण खौफजदा हैं। बीते 40 दिनों में करीब तीन दर्जन बार इन भेड़ियों ने ग्रामीणों पर हमला कर पांच बच्चों को मार डाला है, जबकि 30 से ज्यादा ग्रामीण और बच्चे भेड़ियों और दूसरे जानवरों के हमलों से घायल हुए हैं।"
प्रभावित गांवों में पुलिस, प्रशासन, वन विभाग व गांव वासियों की टीमें अलग-अलग टोलियों में दिन रात गश्त लगा रहे हैं।
मां के पास सोते हुए बच्चे को उठा ले गया भेड़िया
हाल ही में भेड़िये ने 26 अगस्त की रात को एक पांच साल के अयांश को उस वक्त अपना शिकार बनाया, जब वो अपनी मां के साथ सो रहा था। घटना महसी तहसील के थाना खैरीघाट क्षेत्र के दीवानपुरवा की है।
अयांश की मां रोली ने बताया कि वो आंगन में उसके साथ सो रहा था। अचानक उसकी आंख खुली, तो उसने देखा कि उसके बेटे गायब है। अयांश को गुम हो जाने पर चीख पुकार मच गई। घरवालों ने गांव वालों के साथ ढूंढा लेकिन वो नहीं मिला।
हालांकि, अगले दिन सुबह अयांश का क्षत-विक्षत शव गांव से कुछ दूरी पर पड़ा मिला। घटना की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारियों ने घटनास्थल की जांच-पड़ताल कर बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
शाम होते ही फैल जाती दहशत
गांव वालों का कहना है कि शाम होते ही, आस पास के सभी गांवों में दहशत फैल जाती है। सूरज ढलते ही लोग अपने घरों में चले जाते। बच्चे अब दिन में भी घर के बाहर खेलने से डरते हैं।
बच्चे तो छोड़िए बड़े लोग भी डर साये में जीने को मजबूर हैं। इस डर से कि कहीं भेड़िये उन्हें अपना शिकार न बना लें, किसानों ने खेतों पर जाना छोड़ दिया है। डर के मारे कई परिवारों ने तो अपने बच्चों को दूर रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है।
बहराइच की महसी तहसील के करीब 100 स्क्वार किलोमीटर के 25 से 30 गांवों में भेड़ियों का आतंक फैला है। गांव वालों रातभर पहरेदारी कर रहे हैं। हाथों मशाल और टॉर्च लेकर जागते रहो के नारे लगा रहे हैं।
जगह-जगह लोग झुंड बना कर पहरेदारी करते दिख जाएंगे। आम लोगों के साथ अब इलाके विधायक और वन विभाग के अधिकारी भी पहरेदारी करते नजर आ रहे हैं।
भेड़िया कैसे बनाते हैं शिकार?
गांव के लोगों ने बताया कि रात के वक्त जब अंधारा हो जाता है, तो जंगल और खेतों से ये भेड़िये रिहायशी इलाकों में घुस आते हैं। इस दौरान वे घरों में सो रहे लोगों और खासकर बच्चों को उठा कर ले जाते हैं। ज्यादातर घटनाओं में एक जैसा ही पैटर्न देखने को मिला है।
आतंकी भेड़िया घरों से बच्चों को रात में उठा कर ले जा जाता है और दूसरे दिन बच्चों के शव गन्ने के खेत या उसके आस पास मिलते हैं। वन विभाग की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है और कई जगहों पर पिंजरे भी लगाए गए हैं, जिसमें अब तक तीन भेड़िए कैद भी हो चुके हैं।
वन विभाग की टीम ड्रोन के जरिए भी भेड़ियों की मूवमेंट पर नजर रख रही है और उन्हें यहां से खदेड़ने के लिए कई तरह के उपाय भी सोचे जा रहे हैं। पांच फॉरेस्ट डिवीजन बहराइच, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा, व बाराबंकी की लगभग 25 टीमें लगी हुई हैं।
हाथियों के मल और मूत्र का इस्तेमाल
भेड़ियों को रिहायशी इलाकों से दूर भगाने के लिए वन विभाग के विशेषज्ञ हाथियों के मल और मूत्र का इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि हाथियों के मल और मूत्र की गंध से ये भ्रम बनेगा कि इस इलाके में हाथी है, जिससे भेड़िये दूर भाग जाते हैं।
भेड़ियों को पकड़ने के लिए खासतौर से बाराबंकी के DFO आकाशदीप बधावन को जिम्मेदारी दी गई है।
बधावन ने कहा, "हाई फ्रीक्वेंसी ड्रोन कैमरों से छह भेड़ियों को चिन्हित किया गया था, जिनमें से तीन भेड़िए पहले ही पकड़े जा चुके हैं और बचे हुए तीन भेड़ियों को पकड़ने की कवायद जारी है।"
भेड़ियों को भगाने की योजना
DFO ने कहा, ''हमारा पहला मकसद इन भेड़ियों से गांव के लोगों को सुरक्षित करना है। इसके लिए हमने पहले इन्हें रिहायशी बस्तियों से दूर ले जाने की रणनीति बनाई है और कतर्नियाघाट जंगल से हाथियों का मल और मूत्र मंगवाकर इसे गांवों के बाहर जगह-जगह छोड़ा जा रहा है। इससे भेड़ियों को हाथी की मौजूदगी का भ्रम होगा।"
बधावन ने कहा, "भेड़िए झुंड में शिकार करते हैं और इन्हें पैक हंटर्स कहा जाता है, लेकिन वह दूसरे बड़े जानवर खासतौर पर हाथी जैसे बड़े जानवरों से बचते भी हैं। हम इस गंध से हाथियों की मौजूदगी का भ्रम बनाकर इन्हें रिहायशी इलाकों से दूर सुनसान जगहों पर ले जाने की कोशिश में हैं।"
उन्होंने कहा, "इन सुनसान इलाकों में हमने चारे के रूप में बकरी आदी लगाकर पिंजरे लगाए हैं। ड्रोन की मदद से भेड़ियों की निगरानी कर रिहायशी बस्ती से बाहर रोका जा रहा है। बहुत जल्द हम बाकी हमलावर भेड़ियों को पकड़ने में कामयाब होंगे।"
इसके अलावा BJP विधायक सुरेश्वर सिंह भी दो रात से रात्रि गश्त में शामिल होकर, गांव- गांव चौपालें लगाकर लोगों का हौसला बढ़ा रहे हैं। विधायक बच्चों को घर के भीतर सोने और ग्रामीणों को टोलियों में गश्त करने की सलाह दे रहे हैं।