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राज्यों के पास बिजली उत्पादन पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं, केंद्र सरकार ने जारी किया सर्कुलर

केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों के पास कोयला, पानी, पवन या सौर से पैदा होने वाली बिजली पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है। इस तरह का कोई भी टैक्स या शुल्क गैरकानूनी और असंवैधानिक है। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने 25 अक्टूबर को एक सर्कुलर में यह जानकारी दी

अपडेटेड Oct 29, 2023 पर 1:54 PM
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केंद्र सरकार ने राज्यों से किसी भी स्रोत से बिजली उत्पादन पर टैक्स/ड्यूटी नहीं लगाने के लिए कहा है।

केंद्र सरकार ने राज्यों से किसी भी स्रोत से बिजली उत्पादन पर टैक्स/ड्यूटी नहीं लगाने के लिए कहा है। केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों के पास कोयला, पानी, पवन या सौर से पैदा होने वाली बिजली पर टैक्स लगाने का अधिकार नहीं है। इस तरह का कोई भी टैक्स या शुल्क गैरकानूनी और असंवैधानिक है। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने 25 अक्टूबर को एक सर्कुलर में कहा कि केंद्र के संज्ञान में आया है कि कुछ राज्य सरकारों ने डेवलपमेंट फ्री/चार्ज/फंड की आड़ में पावर जनरेशन पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है।

मंत्रालय ने सर्कुलर में क्या कहा?

सर्कुलर में कहा गया है, "पावर जनरेशन पर किसी भी तरह के टैक्स/ड्यूटी के रूप में इस तरह का अतिरिक्त शुल्क अवैध और असंवैधानिक है।" संवैधानिक स्थिति पर स्पष्टीकरण देते हुए मंत्रालय ने कहा कि टैक्स/ड्यूटी लगाने की शक्तियां विशेष रूप से सातवीं अनुसूची में बताई गई हैं।


मंत्रालय ने कहा, "सातवीं अनुसूची की सूची-दो प्रविष्टियां-45 से 63 में राज्यों द्वारा कर/शुल्क लगाने की शक्तियों को बताया गया है। कोई भी कर/शुल्क जिसका इस सूची में विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, राज्य सरकारों द्वारा कोई भी ‘आड़’ लेकर नहीं लगाया जा सकता है। इसका अधिकार केंद्र सरकार के पास है।"

सूची-दो (राज्य सूची) की प्रविष्टि-53 राज्यों को अपने अधिकार क्षेत्र में बिजली की खपत या बिक्री पर कर लगाने के लिए अधिकृत करती है। मंत्रालय ने कहा, "इसमें बिजली उत्पादन पर कोई कर या शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक राज्य के क्षेत्र के भीतर उत्पन्न बिजली का उपभोग दूसरे राज्यों में किया जा सकता है और किसी भी राज्य के पास दूसरे प्रदेश के लोगों पर कर/शुल्क लगाने का अधिकार नहीं है।"

राज्य क्यों नहीं लगा सकते टैक्स?

मंत्रालय ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-286 स्पष्ट रूप से राज्यों को उन वस्तुओं या सेवाओं की सप्लाई या दोनों पर कोई कर/शुल्क लगाने से रोकता है, जहां सप्लाई राज्य के बाहर होती है। साथ ही, अनुच्छेद-287 और 288 केंद्र सरकार द्वारा उपभोग की जाने वाली या सरकार या उसकी एजेंसियों द्वारा उपभोग के लिए केंद्र सरकार को बेची जाने वाली बिजली की खपत या बिक्री पर कर लगाने से रोकता है।

इस आदेश में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए राज्य किसी भी स्रोत मसलन ताप, जल या रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन या उसकी अंतर-राज्य आपूर्ति पर अतिरिक्त शुल्क/कर नहीं लगा सकते हैं। केंद्र ने राज्यों से कहा है कि यदि उन्होंने इस तरह का कोई अतिरिक्त शुल्क लगाया है तो वे इसे तत्काल वापस लें। अप्रैल में मंत्रालय ने राज्यों से कहा था कि वे खास तौर से पनबिजली परियोजनाओं से उत्पादित बिजली पर किसी तरह का शुल्क या कर नहीं लगाएं।

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