मुख्य ब्याज दरें तय करते समय फूड इनफ्लेशन को गणना से बाहर रखे जाने के सुझावों से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने असहमति जताई है। राजन का मानना है कि इससे केंद्रीय बैंक के प्रति लोगों का भरोसा कम होगा, जिसे सरकार ने इनफ्लेशन को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी दी है। राजन ने कहा कि इनफ्लेशन एक ऐसे समूह को टारगेट करे जिसमें कंज्यूमर के उपभोग वाली चीजें हों। यह इनफ्लेशन के बारे में उपभोक्ताओं के परसेप्शन और इनफ्लेशन की उम्मीदों को प्रभावित करता है।
Raghuram Rajan ने क्या कहा?
राजन बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट्स तय करते समय फूड इनफ्लेशन को गणना से बाहर रखने के बारे में इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 में आए सुझावों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, "जब मैं गवर्नर बना था उस समय भी हम PPI (प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स) को टारगेट कर रहे थे। लेकिन इसका एक एवरेज कंज्यूमर के सामने आने वाली चुनौतियों से कोई लेना-देना नहीं होता है।" राजन ने कहा, "ऐसे में जब RBI कहता है कि मुद्रास्फीति कम है तो PPI पर नजर डालें। अगर कंज्यूमर कुछ अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तो वे वास्तव में यह नहीं मानते कि मुद्रास्फीति कम हुई है।’’
'RBI पर लोगों का भरोसा होगा कम'
उन्होंने कहा, "अगर आप मुद्रास्फीति के कुछ सबसे अहम हिस्सों को छोड़ देते हैं और यह कहते हैं कि मुद्रास्फीति कंट्रोल में है, लेकिन खाने-पीने की चीजों के दाम या इनफ्लेशन बास्केट में नहीं रखे गए किसी अन्य सेगमेंट की कीमतें आसमान छू रही हैं तो आप जानते हैं कि लोगों को रिजर्व बैंक पर बहुत भरोसा नहीं होगा।"
चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर ने दिया है यह सुझाव
इकोनॉमिक सर्वे 2023-24 में चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर वी अनंत नागेश्वरन ने ब्याज दरें तय करने की प्रक्रिया से फूड इनफ्लेशन को बाहर रखने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि मॉनेटरी पॉलिसी का खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है क्योंकि कीमतें सप्लाई साइड के दबावों से तय होती हैं।
वर्तमान में अमेरिका स्थित शिकॉगो बूथ में वित्त के प्रोफेसर राजन ने इस दलील पर कहा, ‘‘आप शॉर्ट टर्म में खाद्य कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकते लेकिन अगर खाद्य कीमतें लंबे समय तक अधिक रहती हैं तो इसका मतलब है कि डिमांड के सापेक्ष खाद्य उत्पादन पर कुछ बंदिशें हैं। इसका अर्थ है कि इसे बैलेंस करने के लिए आपको अन्य क्षेत्रों में मुद्रास्फीति को कम करना होगा।" RBI ने 2024-25 के लिए रिटेल इनफ्लेशन 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्त वर्ष में 5.4 फीसदी से कम है।
माधबी पुरी बुच पर लगें आरोपों पर राजन ने क्या कहा?
पूर्व RBI गवर्नर ने मार्केट रेगुलेटर सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ हाल में लगे कई आरोपों पर कहा कि इसे लेकर सजग रहना होगा क्योंकि कोई भी किसी भी समय आरोप लगा सकता है। उन्होंने कहा, "लेकिन अगर आरोपों की पर्याप्त जांच हुई है तो रेगुलेटर के लिए सभी आरोपों से परे होना बेहद अहम है। इसका मतलब है कि उसे आरोपों को प्वाइंट बाय प्वाइंट एड्रेस करना होगा।’’
सेबी प्रमुख के खिलाफ लगे आरोपों को हितों के टकराव का मामला बताते हुए राजन ने कहा कि आरोपों की जितनी विस्तृत जांच हुई है, उतना ही विस्तृत प्वाइंट बाय प्वाइंट जवाब होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार, मुझे लगता है कि हमारे रेगुलेटर का जितना संभव हो सके भरोसमंद होना अहम है।’’ पिछले महीने माधबी और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग रिसर्च और कांग्रेस की तरफ से लगाए गए हितों के टकराव के आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि ये झूठे, दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित हैं।