माफिया सरगना मुख्तार अंसारी को वाराणसी की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में मुख्तार अंसारी (Mafia Mukhtar Ansari) को आर्म्स एक्ट (Arms Act) के मामले में सजा सुनाई गई है। वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने 12 मार्च को मुख्तार अंसारी को 36 साल पुराने मामले में दोषी करार दिया था।
इसी मामले में 13 मार्च को कोर्ट ने मुख्तार अंसारी के लिए सजा का ऐलान किया। जून 1987 में गाजीपुर में दोनाली बंदूक का लाइसेंस लेने में डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर कर लाइसेंस जारी हुआ था। यह मामला सामने आने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया था।
गाजीपुर में 36 साल पहले फर्जीवाड़ा कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत ने दोषी करार मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इस मामले में दो लाख, दो हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि 10 जून 1987 को इस शख्स ने दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए डीएम के यहां आवेदन दिया था। इसके बाद डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से सिफारिश हासिल कर कर हथियार का लाइसेंस हासिल कर लिया गया था। इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी,तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
जांच के बाद तत्कालीन आयुध क्लर्क गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के खिलाफ 1997 में अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके खिलाफ मामला 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया था।