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New Parliament Building: नए संसद भवन में लगेगा तमिलनाडु का 'सेंगोल', अमित शाह ने बताया इसका इतिहास और महत्व

New Parliament Building: केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय, खासकर तमिल संस्कृति में सेंगोल का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा, "चोल वंश के समय से ही संगोल का महत्व रहा है...इस संगोल को नई संसद में रखा जाएगा...प्रधानमंत्री मोदी इस संगोल को स्वीकार करेंगे और इसे स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा

अपडेटेड May 24, 2023 पर 1:07 PM
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New Parliament Building: नए संसद भवन में लगेगा तमिलनाडु का 'सेंगोल'

New Parliament Building: केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री, अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को कहा कि नई संसद भवन का उद्घाटन (New Parliament Inaugration) 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के हाथों आजादी का अमृत महोत्सव (AKAM) के समारोह के तहत किया जाएगा। उन्होंने स्वतंत्रता के एक 'महत्वपूर्ण ऐतिहासिक' प्रतीक 'सेंगोल' (राजदंड) (Sengol) को फिर से शुरू करने की भी घोषणा की, क्योंकि ये अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के सौंपना का प्रतीक था।

अमित शाह ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “इस सेंगोल का बहुत बड़ा महत्व है। PM मोदी को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने इस बारे में और जानकारी हासिल करने को कहा...14 अगस्त 1945 को करीब 10:45 बजे नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया। ये अंग्रेजों से इस देश के लोगों के लिए सत्ता के हस्तांतरण का संकेत है।"


केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय, खासकर तमिल संस्कृति में सेंगोल का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा, "चोल वंश के समय से ही संगोल का महत्व रहा है...इस संगोल को नई संसद में रखा जाएगा...प्रधानमंत्री मोदी इस संगोल को स्वीकार करेंगे और इसे स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा।"

शाह ने कहा कि पीएम मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले तमिलनाडु से संगोल लेंगे और वह इसे नए संसद भवन के अंदर रखेंगे। उन्होंने कहा, "यह एक मूलभूत घटना होने जा रही है, और ये भारत में अमृत काल को चिन्हित करेगी।"

'दोबारा जीवत होगी एक ऐतिहासिक परंपरा'

उन्होंने कहा, "इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा दोबारा जीवित होगी। इसके पीछे युगों से जुड़ी हुई एक परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका मतलब संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है। 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके 75 साल बाद आज देश के ज्यादातर नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। ये सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली, तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया।"

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शाह ने आगे कहा, "सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र जगह कोई और हो ही नहीं सकती। इसलिए जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से आए हुए अधीनम से सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।"

गृह मंत्री ने बताया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है। इस अवसर पर पीएम सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे।"

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