22 सितंबर 2011
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सर्वोच्च न्यायालय में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या तय करने सम्बन्धी दाखिल किए गए सरकारी हलफनामे की निंदा करती है। यह उस गरीब व्यक्ति का अपमान है, जो बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार का शिकार हो रहा है। भाजपा ने पूछा कि क्या सरकार चाहती है कि सभी लोग फुटपाथ पर हों?
भाजपा ने एक बयान जारी कर कहा कि गरीब को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के बजाय सरकार ने तथ्य को नकारने और गरीब व्यक्तियों की संख्या छिपाने का रास्ता चुना। यह गरीबी दूर करना नहीं है, अपितु गरीब को गरीब न मानना है। भाजपा कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के इस गरीब-विरोधी रवैये का सभी उपलब्ध मंचों पर विरोध करेगी।
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शहरी क्षेत्रों में 965 रुपये प्रतिमाह और ग्रामीण भारत में 781 रुपये प्रतिमाह गरीबी की कसौटी मानकर सरकार ने आम आदमी की पीठ में छुरा घोंपा है। यह पूरी तरह से न्याय को अस्वीकार करने के अलावा और कुछ नहीं है। इस प्रकार की घोषणा सरकार द्वारा अपने कर्तव्यों से पूरी तरह से मुंह मोड़ना और अपने दिमागी दिवालियेपन की घोषणा करना है। यह विचारों का दिवालियापन है और इस प्रकार का हलफनामा गरीबी-उन्मूलन कार्यक्रमों की पूर्ण विफलता का सबूत है।
किसी व्यक्ति के लिए प्रतिदिन जीवन-निर्वाह के लिए 32 रुपए प्रतिदिन एक डॉलर के बराबर भी नहीं है। गरीब भूखा रहता है और कुपोषण का शिकार बनता है। सरकार चाहती है कि देश यह समझे कि सब ठीक-ठाक है। सरकार के हलफनामे में सिर के ऊपर छत पर होने वाले खर्च को शामिल नहीं किया गया है। क्या सरकार चाहती है कि सभी लोग फुटपाथ पर हों? गरीब व्यक्ति का इससे अधिक अपमान और नहीं हो सकता। एक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मुद्रास्फीति को रोकने और गरीब व्यक्ति को न्याय दिलाने में असफल रहे हैं।
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इसके साथ ही भाजपा ने कहा कि पार्टी तेलंगाना के आंदोलनकारी लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करती है। जनता के हड़ताल का आज 9वां दिन है और 8.5 लाख से ज्यादा लोग अनिश्चित काल की हड़ताल पर हैं। अध्यापक और छात्र भी हड़ताल में शामिल हो गये हैं। चार राष्ट्रीय राजमार्ग अवरूद्घ हैं, 54,000 पथ परिवहन निगम के कर्मचारी हड़ताल पर हैं, सिंगारैनी में 65,000 कोयला मजदूरों ने काम करना बंद कर दिया है। वकील और डॉक्टर भी संघर्ष में शामिल हो गये हैं। 500 सिनेमाहॉल, मंदिर और ऑटोरिक्शा भी बंद पड़े हैं। यह कांग्रेस द्वारा किए गए विश्वासघात के विरूद्घ तेलंगाना का आक्रोश है।
कांग्रेस ने तेलंगाना के लिए एक पृथक राज्य बनाने की प्रक्रिया आरम्भ करने के लिए 9 दिसम्बर, 2009 की अपनी घोषणा से यू-टर्न लेकर लोगों की पीठ में छुरा घोंपा है। सरकार को तुरंत एक समय-सीमा निर्धारित करनी चाहिए बिना और विलम्ब किए तेलंगाना राज्य बनाये जाने की प्रक्रिया आरम्भ करनी चाहिए। सरकार को तेलंगाना के लोगों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
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