कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को पद्म भूषण दिए जाने को लेकर जयराम रमेश की टिप्पणी से पैदा हुए विवाद के बीच कपिल सिब्बल उनके पक्ष में खुलकर सामने आ गए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किए जाने की घोषणा को लेकर बुधवार को अपनी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह विडंबना है कि कांग्रेस को आजाद की सेवाओं की जरूरत नहीं है, जबकि राष्ट्र उनके योगदान को स्वीकार कर रहा है।
कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, ‘‘गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। बधाई हो भाईजान। यह विडंबना है कि कांग्रेस को उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है, जबकि राष्ट्र सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को स्वीकार करता है।’’
आजाद और सिब्बल दोनों कांग्रेस के उस ‘G-23’ का हिस्सा हैं जिसने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में आमूल-चूल परिवर्तन और जमीन पर सक्रिय संगठन की मांग की थी। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी आजाद को बधाई दी है।
हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को आजाद पर कटाक्ष किया। रमेश ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की ओर से पद्म भूषण सम्मान को अस्वीकार किए जाने को लेकर आजाद पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘‘यही सही चीज थी करने के लिए। वह आजाद रहना चाहते हैं गुलाम नहीं।’’
बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को पद्म सम्मानों की घोषणा की गई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद को सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण (Padam Bhushan) से नवाजा जाएगा। इसी ट्वीट के जवाब में कपिल सिब्बल ने आजाद को पद्म भूषण दिए जाने का स्वागत किया था और कांग्रेस पर भी सवाल खड़े कर दिए।
सिब्बल के अलावा अब कांग्रेस के एक और नेता आनंद शर्मा भी गुलाम नबी आजाद के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं और उन्हें बधाई दी है। आनंद शर्मा ने ट्वीट कर आजाद को बधाई देते हुए कहा है कि संसदीय लोकतंत्र और जनसेवा के लिए उनके आजीवन योगदान को मान्यता मिली है।
गुलाम नबी आजाद वर्ष 2020 में उस समय चर्चा में आए, जब कुछ पार्टी नेताओं की चिट्ठी लीक हुई, जिसमें कांग्रेस में नेतृत्व के लिए चुनाव करने की मांग थी। चिट्ठी लिखने वालों में गुलाम नबी आजाद का भी नाम था। बाद में आजाद ने एक इंटरव्यू में कहा कि अगर कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं हुआ तो पार्टी अगले 50 सालों तक विपक्ष में ही रहेगी।