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गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर कैंपेन कमेटी का प्रमुख बनने का ऑफर ठुकराया, नियुक्ति के कुछ घंटे बाद ही दिया इस्तीफा

Ghulam Nabi Azad कांग्रेस के 'G 23' ग्रुप के प्रमुख सदस्य हैं। यह ग्रुप पार्टी नेतृत्व का आलोचक रहा है और एक संगठनात्मक बदलाव की मांग करते आया है

अपडेटेड Aug 17, 2022 पर 10:25 AM
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अभी तक कारण स्पष्ट नहीं है कि आजाद ने कांग्रेस नेतृत्व द्वारा दिए गए अहम पद से इस्तीफा क्यों दिया

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव को ठुकरा दिया। आजाद ने अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, इस्तीफा देने की वजह अब तक साफ नहीं है।

जम्मू और कश्मीर में संगठन में सुधार के तौर पर सोनिया गांधी ने आजाद के करीबी माने जाने वाले विकार रसूल वानी को अपनी जम्मू-कश्मीर इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। आजाद कांग्रेस के 'G 23' ग्रुप के प्रमुख सदस्य हैं। यह ग्रुप पार्टी नेतृत्व का आलोचक रहा है और एक संगठनात्मक बदलाव की मांग करते आया है।

आजाद को राज्यसभा से रिटायर होने के बाद दोबारा उच्च सदन में नहीं भेजा गया था। कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता रमन भल्ला को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। पूर्व पीडीपी नेता तारिक हामिद कर्रा को अभियान समिति के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया गया है।


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नियुक्तियों को सार्वजनिक किए जाने के कुछ घंटे बाद, सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि आजाद ने गांधी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। हालांकि, वानी ने गुलाम अहमद मीर की जगह ली है, जिन्होंने 8 साल तक इस पद पर रहने के बाद जुलाई में इस्तीफा दे दिया था।

कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि सोनिया ने गुलाम अहमद मीर का प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उनके स्थान पर रसूल वानी को अध्यक्ष नियुक्त किया। आजाद के करीबी माने जाने वाले वानी प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बानिहाल से विधायक रह चुके हैं।

बयान में कहा गया है कि सोनिया गांधी ने जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी के लिए चुनाव अभियान समिति और राजनीतिक मामलों की समिति (PAC) समेत सात समितियों का भी गठन किया। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के लिये समन्वय समिति, घोषणापत्र समिति, प्रचार एवं प्रकाशन समिति, अनुशासन समिति और प्रदेश चुनाव समिति का भी गठन किया है।

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान खत्म किए जाने के बाद से ही विधानसभा अस्तित्व में नहीं है। परिसीमन का काम संपन्न हो चुका है। फिलहाल सरकार की तरफ विधानसभा चुनाव की तिथि को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है।

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