महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शुक्रवार को अपने बागी नेता और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को सीधे चुनौती दी। उद्धव ने कहा कि कोई भी शिवसेना (Shiv Sena) का चिन्ह, उनसे नहीं छीन सकता। साथ ही उन्होंने मध्यावधि चुनाव (Mid-term Poll) कराने की भी मांग की है।
मीडिया को संबोधित करते हुए, ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी पर कोई दबाव नहीं था और चुनाव चिन्ह उनके गुट के पास रहेगा। ठाकरे अब अपने गुट को एक साथ रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि मुझे इस विद्रोह की जानकारी कैसे नहीं थी। मुझे इस बात का अंदाजा था कि चीजें कैसे आगे बढ़ रही हैं, लेकिन मैं अस्वस्थ था। यहां तक कि पार्टी में एक सामान्य व्यक्ति को भी सर्वोच्च सम्मान दिया गया है।"
उन्होंने कहा कि असली शिवसेना पर सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "शिवसेना, जहां थी वहीं है। एक समय था, जब शिवसेना के विधायक एक अंक में थे, लेकिन क्या पार्टी खत्म हो गई? पार्टी हमेशा रहेगी। करीब 15-16 विधायक अब भी मेरे साथ हैं। हमारे देश में हम 'सत्यमेव जयते' कहते हैं और मैं कानून और जमीन के शासन में विश्वास करता हूं।"
शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इस बार उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने विद्रोही नेता एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था।
टीम उद्धव ने 3-4 जुलाई को महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही को भी चुनौती दी है। इसी दौरान शिंदे-बीजेपी गठबंधन ने पहले एक नया विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया, फिर सदन में फ्लोर टेस्ट किया।
इस पूरे मामले के बारे में बोलते हुए, ठाकरे ने कहा, "मामले का नतीजा जो भी हो... यह लोकतंत्र की ताकत है, जो इस परिणाम पर निर्भर है। पूरे देश को नतीजे का इंतजार है।"