इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले में आरोपी सांसद जियाउर्रहमान बर्क की गिरफ्तारी पर शुक्रवार को रोक लगा दी। हालांकि, अदालत ने समाजवादी पार्टी (SP) के सांसद बर्क के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार कर दिया। संभल जिले के थाना संभल में जियाउर्रहमान बर्क पर सर्वे के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में नामजद मुकदमा दर्ज किया गया है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे।
जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस अजहर हुसैन इदरीसी की बेंच ने जियाउर्रहमान बर्क के वकील इमरान उल्लाह और अपर शासकीय अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद सांसद की याचिका पर यह फैसला दिया। अदालत ने अपने आदेश में इस मामले की जांच जारी रखने और जियाउर्रहमान बर्क को जांच में सहयोग करने का आदेश दिया।
संभल में क्यों हुई हिंसा?
संभल में उस समय बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी, जब सैकड़ों लोगों ने एक स्थानीय अदालत की ओर से एक याचिका पर दिए गए सर्वे के आदेश का विरोध किया। याचिका में दावा किया गया था कि मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के निर्माण के लिए एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था।
हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोप लगाया कि बर्क ने हिंसा से पहले इलाके का दौरा किया था और उनके भाषणों से अशांति भड़की थी।
अब तक 50 लोगों की गिरफ्तारी
जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस अजहर हुसैन इदरीसी ने कहा कि बर्क के खिलाफ जांच जारी रहेगी। बेंच ने कहा कि सांसद के खिलाफ दर्ज आरोपों में सात साल से कम की सजा का प्रावधान है और पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए जांच दल के सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी कर सकती है। हाईकोर्ट ने सांसद को जांच में सहयोग करने का भी निर्देश दिया।
मामले में कई FIR दर्ज की गई हैं और अब तक 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बर्क के अलावा स्थानीय विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल भी आरोपी हैं।