अखिलेश यादव को स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया झटका, छोड़ी समाजवादी पार्टी, MLC पद से भी दिया इस्तीफा

स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने रामचरितमानस और अयोध्या मंदिर प्रतिष्ठा समारोह पर विवादित बयान दिये थे। इससे पहले मौर्य ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था कि पार्टी नेतृत्व उनकी टिप्पणियों को लेकर उनका बचाव करने के बजाय उनके साथ भेदभाव कर रहा है

अपडेटेड Feb 20, 2024 पर 1:33 PM
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने छोड़ी समाजवादी पार्टी, MLC पद से भी दिया इस्तीफा

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से लंबी नाराजगी और मनमुटाव के बाद आखिरकार स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने समाजवादी पार्टी (SP) की सदस्यता और MLC पद से इस्तीफ दे दिया है। इससे पहले उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने त्याग पत्र में ये भी बताया कि वह पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा क्यों दे रहे हैं।

उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के नाम लिखे अपने त्याग पत्र में लिखा, "आपके नेतृत्व में सौहार्दपूरण वातावरण में काम करने का अवसर मिला। लेकिन 12 फरवरी 2024 को हुई बातचीत और 13 फरवरी को जारी किए गए पत्र पर किसी भी तरह की बातचीत की पहल न करने कारण मैं समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी त्याग-पत्र दे रहू हूं।"

उन्होंने पत्र को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भी शेयर किया। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति को लिखे एक अलग पत्र में, मौर्य ने कहा, "मैं विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के सदस्य के रूप में चुना गया था। क्योंकि मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसलिए मैं विधान परिषद सदस्य MLC के रूप में भी इस्तीफा दे रहा हूं।"


क्यों नाराज हैं स्वामी प्रसाद मौर्य?

मौर्य ने 13 फरवरी को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने नेतृत्व पर उनके साथ भेदभाव करने और रामचरितमानस और अयोध्या मंदिर अभिषेक समारोह पर उनके विवादास्पद बयानों पर उनका बचाव नहीं करने का आरोप लगाया।

राष्ट्रीय महासचिव के पद से इस्तीफा देते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को एक लंबा चौड़ा पत्र भी लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा था कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम 'अपने तौर-तरीके' से जारी रखा और BJP के मकड़जाल में फंसे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के स्वाभिमान को जगाने की कोशिश की। इस पर पार्टी के ही कुछ नेताओं ने उनकी टिप्पणियों को उनका निजी बयान कहकर उनके प्रयास की धार को कुंद करने की कोशिश की।

उन्होंने कहा, "हैरानी तो तब हुई जब पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं ने चुप रहने के बजाय ‘मौर्य जी का निजी बयान’ कह कर कार्यकर्ताओं का हौसला तोड़ने की कोशिश की। मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव मैं हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है। यह समझ के परे है।"

Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Feb 20, 2024 1:01 PM

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