सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 19 अगस्त को कहा कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) एक महीने के भीतर पूरी तरह से तैयार हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, 'इस कानून का ढांचा तैयार है और नियमों से जुड़ा मसौदा एक महीने के भीतर जारी हो जाने का अनुमान है।' उनके मुताबिक, DPDP एक्ट का ढांचा तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। इसके तहत शिकायत कैसे करें, अपील दायर करने और अन्य चीजों के बारे में जानकारी शामिल है।
संसद में तकरीबन एक साल पहले डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट को मंजूरी दी गई थी। इसमें पर्सनल डेटा लीक होने से रोकने के लिए प्रावधान किए गए हैं। हालांकि, इस कानून को अब तक लागू नहीं किया गया है, क्योंकि कई प्रावधानों में अतिरिक्त क्लॉज और नियमों की जरूरत है। इस तरह की खबरें आ रही थीं कि सरकार ने नियमों पर आम लोगों से सलाह-मशवरे करने की हरी झंडी दे दी है।
DPDP एक्ट में बच्चों और दिव्यांगों के लिए विशेष सुरक्षा के प्रावधान किए गए हैं। इस एक्ट में 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को बच्चा माना गया है और एक्ट के सेक्शन 9 के मुताबिक, इन बच्चों के डेटा की प्रोसेसिंग के लिए उनके माता-पिता की मंजूरी जरूरी होगी।
पिछले साल अगस्त में बिल पारित होने के बाद वैष्णव ने कहा था कि सरकार इसे आने वाले 10 महीनों में लागू कर देगी। इसके साथ ही इसके वर्किंग मैकेनिज्म के तहत एक स्वतंत्र डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड बनाए जाने का भी जिक्र था, जो कि डिजिटल बाई डिजाइन है। सरकार का कहना है कि इसके जरिए दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की न्याय तक आसान पहुंच हो जाएगी।