एक वीडियो वायरल हुआ है। इसमें FASTag स्कैनिंग से पैसे की चोरी दिखाया गया है। एक बच्चा फास्टैग को स्कैन कर रहा है। वीडियो में दावा किया गया है कि इस तरह एक गैंग पैसे की चोरी कर रहा है। सरकार की एजेंसी ने इस वीडियो को फर्जी बताया है। आइए जानते हैं क्या है मामला।
इस वीडियो में दिखाया गया है कि बच्चा अपनी स्मार्टवॉच से फास्टैग को स्कैन कर रहा है। वह कार के शीशे की सफाई के दौरान ऐसा करता है ताकि कोई उस पर संदेह नहीं कर सके। फास्टैग कार के आगे वाले शीशे पर लगा होता है। जब ड्राइवर ने इस बच्चे से उसकी स्मार्टवॉच के बारे में पूछता है तो वह भाग जाता है।
ड्राइवर बताता है कि यह बच्चा एक बड़े गैंग का हिस्सा है। इस गैंग के बच्चे ट्रैफिक सिग्नल पर रहते हैं। उनके हाथ में स्मार्टवॉच होती है। कार के शीशे की सफाई की आड़ में वे फास्टैग को स्कैन कर लेते हैं। ऐसा होते ही पैसा ड्राइवर के अकाउंट से निकल जाता है।
FASTag एक प्रीपेड रिचार्जेबल टैग सर्विस है। इसका इस्तेमाल टोल पर पेमेंट के लिए होता है। यह कार के आगे वाले शीशे पर लगा होता है। कार के टोल के सेंसर के नजदीक पहुंचते ही टोल का पैसा कट जाता है। इसके लिए Radio Frequency Identification (RFID) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है।
यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लेकिन, इसके सच होने की पुष्टि नहीं हुई है। कई फैक्टचेकर्स और साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने इसे सही नहीं बताया है। FASTag NETC के अनवेरिफायड ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर भी इसे गलत बताया गया है।
इस वीडियो को पोस्ट करने वाले यूजर्स में अवनीश शरण भी शामिल हैं। वह एक आईएएस अफसर हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या यह वीडियो सही है।
फास्टैग के ट्विटर अकाउंट ने कहा है कि फास्टैग से पेमेंट सिर्फ फास्टैग-एप्रूव्ड मर्चेंट्स को हो सकता है। किसी अनअथॉराइज्ड डिवाइस के लिए पेमेंट इनिशिएट करना मुमकिन नहीं है।
इस वीडियो पर फास्टैग के हैंडल से कहा गया है, "एनईटीसी फास्टैग ट्रांजेक्शन सिर्फ टोल एंड पार्किंग प्लाजा ऑपरेटर्स की तरफ से इनिशिएट किया जा सकता है। ये अपने तय लोकेशन से NPCI के साथ रजिस्टर्ड होते हैं।"
Paytm के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से भी इस वीडियो को फेक बताया गया है। बताया गया है कि यह वीडियो गलत जानकारी फैला रहा है। इंडिपेंडेंट फैक्ट-चेकर्स ने भी वीडियो को फर्जी बताया है।