गहरे समुद्र में पानी के बीच छुपे रहस्यों का पता लगाने के लिए भारत सरकार ने महामिशन शुरू किया है, जिसका नाम 'समुद्रयान (Samudrayaan)' रखा गया है। इस मिशन के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन जैसे उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है कि जिनके पास समुद्र के इतने भीतर जाकर गतिविधियों को अंजाम देने की तकनीक हैं।
यह एक महासागर मिशन है। इसका उद्देश्य एक मानवयुक्त पनडुब्बी वाहन बनाना और उन्हें समुद्र के अंदर 6,000 मीटर की गहराई तक भेजना है, जिससे वे रिसर्च और अध्ययन कर सकें। इस मिशन को अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया था। हाल ही में चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसेन टेक्नोलॉजी (NIOT) ने बताया कि, समुद्रयान अभियान में इस्तेमाल होने वाला वाहन साल 2024 तक तैयार हो जाएगा। इस पनडुब्बी का नाम ‘मत्स्य 6000’ दिया गया है और इसे देश में ही बनाया जा रहा है।
समुद्रयान मिशन को शुरू करते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था, "चेन्नई में भारत के पहले मानवयुक्त महासागर मिशन ‘समुद्रयान’ की शुरुआत हुई। इसके साथ ही पेयजल, स्वच्छ ऊर्जा और समुद्र आधारित अर्थव्यस्था के लिए समुद्री संसाधनों की संभावना के नए अध्याय की शुरुआत हुई है। स्पेशल टेक्नोलॉजी से तैयार पनडुब्बी गहरे समुद्र में पॉलिमेटेलिक मैग्नीज जैसे अजैविक संसाधन आदि खोजने में सक्षम होगा।"
समंदर में खोज करना क्यों महत्वपूर्ण है?
धरती के करीब 70 फीसदी हिस्से पर समुद्र हैं और यह हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। गहरे महासागर का लगभग 95 प्रतिशत भाग अभी तक खोजा नहीं जा सका है। भारत के तीन तरफ समुद्र हैं और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती हैं और समुद्र उनकी अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। समुद्र से मत्स्य पालन, जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और ब्लू ट्रेड संभव होता है।
भारत का काफी हिस्सा समुद्र से छूता है। भारत की समुद्री सीमा 7,517 किलोमीटर लंबी और नौ राज्यों से होकर गुजरती है। इसके अलावा समुद्र में भारत के 1,382 द्वीप है। भारत सरकार के 'न्यू इंडिया' विजन में समु्द्र आधारित कारोबार को बढ़ाने पर जोर देना भी शामिल है।