अमेरिका ने 26/11 मुंबई हमलों के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। अमेरिका की एक अदालत ने मामले में उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी, जिससे राणा के भारत प्रत्यर्पित होने से बचने का आखिरी कानूनी मौका भी खत्म हो गया। तहव्वुर हुसैन राणा पर एक अमेरिकी जिला अदालत में उस आतंकवादी संगठन को समर्थन देने के आरोप में मुकदमा चलाया गया, जिसने मुंबई हमलों और डेनमार्क में एक और आतंकवादी साजिश को अंजाम दिया था।
कौन है तहव्वुर हुसैन राणा?
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। पिछले साल नवंबर में दायर की गई रिट याचिका को डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
राणा ने निचली अदालतों में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ असफल अपील की है, जिसमें सैन फ्रांसिस्को में नौवें सर्किट के लिए अमेरिकी अपील अदालत भी शामिल है। अगस्त में, नौवें सर्किट ने फैसला सुनाया कि भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा का प्रत्यर्पण किया जा सकता है।
मुंबई पुलिस ने 2023 में तहव्वुर राणा के खिलाफ 400 पन्नों की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी। 26/11 मामले में यह चौथी चार्जशीट थी। इस चार्जशीट में हमलों में राणा की भूमिका बारे में बताया था।
यह तब हुआ, जब भारत ने 2020 में उसके प्रत्यर्पण की मांग की। इस आरोपपत्र में, मुंबई पुलिस ने कहा कि राणा हमले से पहले नवंबर 2008 में दो दिनों तक मुंबई के एक होटल में रुका था।
चार्जशीट में कहा गया है कि राणा ने डेविड हेडली को फर्जी दस्तावेजों की मदद से भारत का टूरिज्म वीजा दिलाने में मदद की थी। क्राइम ब्रांच को हेडली और राणा के बीच ईमेल भी मिले हैं, जिसमें उन्होंने ISI के मेजर इकबाल के बारे में बात की थी, जो 26/11 हमलों का सह-साजिशकर्ता भी था।