Record Fall in 29 Years: 29 साल में पहली बार, स्टॉक मार्केट में ऐसी तबाही, लगातार पांचवे महीने Nifty लाल

Record Fall in 29 Years: स्टॉक मार्केट बेयर्स के चंगुल से निकल ही नहीं पा रहा है। लगातार पांचवे महीने निफ्टी 50 (Nifty 50) लाल है। ऐसा होना आम बात नहीं है क्योंकि 29 साल बाद ऐसा हो रहा है। जानिए इससे पहले घरेलू स्टॉक मार्केट में ऐसी गिरावट कब आई थी और आने वाले समय में क्या रुझान है?

अपडेटेड Feb 28, 2025 पर 8:53 AM
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Record Fall in 29 Years: कंपनियों की कमाई के कमजोर आंकड़े, विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली और बढ़ती आर्थिक अनिश्तताओं के चलते बेयर्स के चंगुल से मार्केट निकल ही नहीं पा रहा है।

Record Fall in 29 Years: विदेशी निवेशकों ने स्टॉक मार्केट में जैसी तबाही शुरू की है, वह 29 साल में पहली बार हो रही है। लगातार पांचवे महीने घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 लाल है। कंपनियों की कमाई के कमजोर आंकड़े, विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली और बढ़ती आर्थिक अनिश्तताओं के चलते बेयर्स के चंगुल से मार्केट निकल ही नहीं पा रहा है। इसके चलते पिछले साल 27 सितंबर 2024 को रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद से बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और निफ्टी 50 (Nifty 50) रिकॉर्ड हाई से करीब 14 फीसदी नीचे आ चुके हैं। सिर्फ इस महीने फरवरी की बात करें तो इनमें करीब 4 फीसदी की गिरावट आई है।

इससे पहले कब आई थी लंबी गिरावट?

लगातार पांचवे महीने निफ्टी का लाल होना आम बात नहीं है। इससे पहले निफ्टी लगातार पांच महीने वर्ष 1996 में जुलाई से नवंबर में हुई थी। उसके भी पहले सबसे बड़ी गिरावट लगातार आठ महीने की थी और वह साल था 1995। वर्ष 1995 में निफ्टी लगातार आठ महीने सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 के बीच लाल थी।


आगे क्या है रुझान?

निफ्टी लगातार पांचवे महीने कमजोर हुआ है। सबसे तगड़ा शॉक तो छोटे और मंझले स्टॉक्स को लगा। हालांकि इस गिरावट के बावजूद एक्सपर्ट्स हाई वैल्यूएशन के चलते निवेशकों को स्मॉल और मिडकैप स्टॉक्स को लेकर सतर्क कर रहे हैं। कोटक इंस्टीट्यूशन इक्विटीज के एनालिस्ट्स का मानना है कि अभी गिरावट थमी नहीं है और आने वाले महीनों में यह और नीचे जा सकता है। ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक भारी गिरावट के बावजूद अभी एक साल का रिटर्न लगभग फ्लैट ही है यानी कि खरीदारी के लिए आकर्षक लेवल खोजना मुश्किल हो रहा है। हाई वैल्यूएशन, कमाई में गिरावट का रिस्क और विकासशील देशों में विदेशी निवेशकों की घटती दिलचस्पी ने अनिश्चितता बढ़ा दी है। वहीं दूसरी तरफ सिटीग्रुप का मार्केट को लेकर रुझान पॉजिटिव है। सिटीग्रुप का मानना है कि अगर टैरिफ वार फिर से गहराता है तो भारतीय मार्केट आउटपरफॉर्म कर सकता है और ब्रोकरेज फर्म ने वैल्यूएशन नीचे आने के चलते भारतीय शेयरों को अपग्रेड कर न्यूट्रल कर ओवरवेट कर दिया है।

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